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________________ दफा १४-१५] हिन्दलों के स्कूलोंका वर्णन ૨૭ बनाम मुटूरामलिंग 12 M. I.A 435.) इसमें कहा गया है कि जो किताब सब जगह मानी जाती थी उसपर सब स्थानोंमें अलग अलग टीकायें हुयीं, उनमें टीकाकारोंने अपना अपना मत प्रदर्शित किया, यानी एक टीकाकारका मत एक जगह माना गया मगर दूसरी जगह नहीं; इसी तरहपर दूसरे टीकाकारका मत दूसरी जगह माना गया मगर अन्य जगह नहीं, इन टीकाओंके अर्थोके फरक़से भिन्न भिन्न स्कूल बन गये। जैसे मिताक्षरा और दायभाग एकही याज्ञवल्क्यस्मृतिकी टीकायें हैं,परंतु मिताक्षरा बंगालको छोड़कर बाकी सब हिन्स्थानमें मानागया और दायभाग सिर्फ बंगालमें । इसी तरहपर मिताक्षराके ऊपर जितनी टीकायें हैं वह एक जगहपर एककी तथा दूसरी जगहपर दूसरे की टीका मानी जाती है। इसी सबबसे हिन्दुस्थानमें ६ प्रधान स्कूल होगये। दफा १५ हिन्दूलॉ की शाखाएं मिस्टर कोलबुकने अपनी हिन्दूलॉ में हिन्दूलॉ के दो बड़े स्कूल माने हैं जिनका सिद्धांत एक दूसरेके विरुद्ध है । मिताक्षरा स्कूल और दायभाग स्कूल। मिताक्षरा स्कूलके अनुयायी थोड़े थोड़े फरक़के साथ भिन्न भिन्न होते हैं वास्तबमें उन सबका सिद्धांत एकही है, मगर दायभाग स्कूलका सिद्धांत बिल्कुल अलग है। मिस्टर मोर्लेके मतसे मिताक्षराके मुख्य चार स्कूल हैं, बनारस, मिथिला, बम्बई, और द्रविड़ । तथा द्रविड़के अन्तर्गत तीन भाग किये गये हैं, द्रविड़, कर्नाटक, और श्रान्ध्र । इसी तरहपर मदरास हाईकोर्ट और जुडीशल् कमेटीने बनारस स्कूल और द्राविडस्कूलको कुछ फरक़के साथ माना है इसी तरहसे आंध्र और द्रविड़को भी माना है। डाक्टर बर्नल कहते हैं कि कर्नाटक स्कूल और आंध्रस्कूल यह दोनों बिना मतलबके हैं मगर आगे उन्होंने जैसा कि कोलबुक साहबने माना था कि हिन्दूलॉ के अंदर दो बड़े स्कूल हैं दायभाग और मिताक्षरा, इस रायसे सहमत होजाते हैं। स्कूलों के विषयमें जस्टिस महमूदकी राय देखो--गंगासहाय बनाम लेखराजसिंह 9 All. I.L. R. 290. हिन्दूलॉ के स्कूल मिताक्षरा स्कूल दायभाग स्कूल (बङ्गाल स्कूल) बनारस मिथिला बम्बई द्रविड़ या मदरास . महाराष्ट्र गुजरात द्रविड़ कर्नाटक आन्ध्र
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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