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________________ १४० बेनामीका मामला [चौदहयां प्रकरण स्त्रीके नामकी रकम-अगरेजी कानूनमें स्त्री सम्बन्धी रक़र पेशगीकी कल्पना भारतीय कानूनके अन्दर नहीं है, बल्कि इसके विपरीत उस सूरतमें जब कि दस्तावेज़ किसी पुरुष और उसकी स्त्रीके नाम लिखा जाता है और पुरुष रकम अदा करता है, तो इस प्रकारका मामला जहांतक स्त्रीके नामका उससे सम्बन्ध होता है पुरुषके हक़में बेनामी समझा जाता है। अतएव केवल इस बिनापर कि रकम स्त्रीके नाम जमा कीगई थी, इस बातकी कल्पना करना कि वह उस रकमकी लाभ प्राप्त करने वाली अधिकारिणी थी न्याय संगत नहीं है। पारवती अम्मल बनाम एम० आर० शिवराम अय्यर A. I.R. 1925 P. C. 81; A. I. R. 1927 Mad. 90. दफा ७७६ बारसुबूत जिस मामलेमें जायदाद दूसरे किसीके नामसे खरीदी गयी हो और वह (जिसके नामसे खरीदी गयी है ) अदालतमें दावा करे कि मैं उस जायदादका असली मालिक करार दिया जाऊं, ऐसी सूरतमें बहुत भारी बारसुबूत उसीपर होगा कि वह बड़ी मज़बूतीसे सावितकरे कि वह जायदादका असली मालिक है, बहुत भारी बारसुबूत होनेका कारण यह है कि ऐसा दावा करते ही यह बात ज़ाहिरा ख्यालमें आती है कि बादी असली मालिक नहीं है और जब कि विक्रीकी लिखतसे बादी उस जायदादका असली मालिक ज़ाहिर नहीं होता है अदालत संदेहके साथ ऐसे मामले की जांच करेगी और बादीसे ऐसा सुवत तलब करेगी कि प्रतिबादीका नाम बेनामीदार है तथा प्रति बादी उस जायदादका असली मालिक नहीं है । यद्यपि ऐसे मामले में अदालतको भारी संदेह होगा कि तु वह केवल अपने संदेहके ऊपर मुकदमेंका फैसला नहीं करेगी जैसी शहादत, हैसियत, रिश्ता, पक्षकारोंका होगा, और ऐसा करने का क्या हेतु था, एवं उस समयके और पश्चात्के कामोंसे क्या ज़ाहिर होता है, तथा पक्षकारोंका चलन व्यवहार कैला है इत्यादि बातोंपर विचार करके फैसला करेगी। शहादतके द्वारा जो कानूनी विषय पैदा होंगे उनके ऊपर फैसला करेगी, देखो-श्रीमन चन्द्र बनाम गोपालचन्द्र 11 M. I. A. 28; अजमत बनाम हरद्वारीमल 13 11. I A. 395; फैज़ वख्श बनाम फकीरुद्दीन 14 I. A. 234: उमाप्रसाद बनाम गंधर्व 15 Cal. 20; 14 I. A. 127; सुलेमान बनाम मेहदीवेगम 25 Cal. 473; 25 I. A. 15; निर्मलचन्द बनाम मोहम्मद 26 Cal. 11; 25 I. A. 225; 30 All 258335 1.A. 104. जब किसीने ऐसा दावा किया हो कि अमुकका नाम बेनामी दार है तथा जायदाद उससे वापिस दिलादी जाय, तो बादीको साधारण यह साबित करना पड़ेगा कि प्रतिबादीके नामसे वह जायदाद क्यों खरीदी गयी या इन्त: काल की गयी तथा उस जायदादमें रुपया मेरा लगा है, प्रतिबादीका नाम केवल बेनामीदार है, और बदले में कुछ नहीं लिया गया।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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