________________
१४२
भविसयत्तकहाए एव्वहिं मई मिल्लिवि पुत्तरज्जे तुम्हइं लग्गहो परलोयकज्जे।
अच्छमि रणरणउं समुव्वहंति महु एहउ नवि कन्नई सुणंति । घत्ता । तो भणइं नरिंदु जइ सामन्नहिं पुव्वकिय ।
तो अरिनयरेवि तुहं सव्वहं अवसाणि थिय ॥५॥ तं निसुणिवि तहि रणरणउं जाउ मउलियमुहुं दरिसिउ अंसुवाउ । तो नवर नरिंदि दुन्निवार कोकाविय पंचवि नरकुमार । तिन्निवि दुहियउ सुवियक्खणाउ सहुं जामायहिं दुम्मणमणाउ । तिण्णिवि सुमहत्तर सच्छवाय धणवइहरिबलभूवालराय । पियसुंदरि जुअराएं सहाय एमाइ सयल अन्नेवि आय। निसुणंतहं सव्वहं मइवियारु करि धरिवि वुत्तु सुप्पहु कुमारु ।
आएं जोइज्जइ पुत्तजम्मु जाएं किज्जइ सोहलउ रम्मु। विलसिज्जइ दिज्जइ विहउ तेण संताणि धुरंधरु होइ जेण। एह संपय इउ बइसणउं रज्जु परिचिंतिउ मई परलोयकज्जु ।
पालिज्जहि संपयपय विचित्त तउ जणणि वच्छ एवहिं सुमित्त । घत्ता । करि धरिवि सपुत्त निक्खेवउ अल्लविउ सइं।
धरणिंदु कुमार पइं दिक्खिव्वउ समउ मई ॥६॥ जं वुत्तु एम सुप्पहु कुमारु तं धुणिवि सीसु थिउ दुन्निवारु । एउ वयणु काइं पई ताय वुत्तु जइ जुत्तु तोवि तउ निरु अजुत्तु । जो भुंजइ वसुमइ एयछत्त ! सुविहेय उवहिपरिआसमंत । जसु चंडमंडलाहिव सवंति सेवंति चारु अवसरु नियंति। किन्नरविज्जाहररक्खजक्ख जसु करहिं कज्जु होइवि समक्ख । सो नरवइ जं पावज्ज लेइ एहउ न दि९ मई मच्चलोइ । पावज्ज तुम्ह एह जि वसिह जं पालहि सुअण विसिह इट। जं रिडि विडि सुहु भविय लोइ जं चोरु जारु नंदइ न कोई । जं निरुवसग्गु तउ करहिं साहु जं जिउ न निहम्मइं निरवराह । जं जणु अपाउ उवसंतु संतु जं जिणसासणि उच्छउ महंतु। पावज्ज लेइ सो करइ कटु जोअणि लउ अह वइरायभहु ।
जो दाणु न देइ न करइ धम्मु पावज्ज लेइ सो खवइ कम्मु । घत्ता । पहु भणई हसंतु तउ पासिउ महु मइ पउर।