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भविसयत्तकहाए
घत्ता । अह विंभर किज्जइ काई मणि कयन्नहं सिज्झइ किन्न जणि । पुव्वकियकम्मनिबंध किय णउ तज्जइ जं तिणवंति सि ॥ १८ ॥ तो सव तरलावियनयणी पुत्तविहूइसमुज्जलवयणी । वहुअहि समुह चलिय मल्हंती पुरउ परिट्ठिय पियई चवंती । हलि हलि पुत्ति काई थिय वुन्नी सा सकियत्थ जुवइ कयन्नी । जा महु पुत्तहो करयलि लग्गइ साअमियेण वियालिडे मग्गइ । तउ सोहरिंग जणु पोमाइड जाहिं मज्झु नंदणु अणुराइउ । करु करणि धरि पिउ जंपिउ तो वि न बहुअहं हियउ समप्पिड | तो सवलक्ख समुट्ठिय रोसिं वृत्तु कुमारु सगग्गरघोसिं । पुत एह कुलबहुअ तुहारी अम्हहं निरु लोयणहं पियारी । अक्खहि काई भणिवि विन्नप्पइ अम्हारिसमाणुसहिं न कुप्पइ । तो विसेवि भणई सुहसेवउ एक्कु मज्झु अवराहु खमिव्वउ । अन्नहिं दीवंतरि उप्पनी सयणहिं विच्छोइय सुहउन्नी । उब्बाहुलियसएसहो अच्छइ भासह तुम्ह नाहिं परियच्छइ । एयहिं विणयालावि' वलेब्वउ वित्तई पाणिग्गहणि करिव्वउ । तं निसुणेवि समाउलिहूअए जाणाविउ धणवइहि सरुवए । पाणिगहणउच्छउ पारंभिउ अप्पाहिवि पायइं जणु थंभिउ । धत्ता । घरि पेसिवि नयरहोतणिय सिय आरंभिय गरुय विवाह किय । आए भमिउं सम्माइयहो पुरि कंदुक्कइ अणुराइयहो ॥ १९ ॥ तो भविसाणुरू विसमट्टिय चिंता तुंगतवंगि परिट्टिय । गयउरि हउ पिययमु दीवंतरि जोयणसयई अणेयई अंतरि । in har इत्थु किर संगमि जहिं संचरु वि नाहि महिजंगमि । जित्तिउ 'दुक्खु मज्झु तणु भुंजइ तित्तिउ सो वि कहिंमि अणुहुंजइ । अच्छइ समसमंतु दुहसायरि किं मुउ झंप देइ रयणायरि । विणु आसई किमत साहारमि लइ घल्लिवि घरसिहरहो मारमि । निसुणिउं ताम कोवि पभणंतिउ पंकयसिरिहि पइज्ज थुनंतर । मासिं जइ न मिलइ नियपुत्तहो तो अप्पर मुहि छुहइ कयंतहो ।
१ B पियालिड २ B विणयाविणयें