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अमो सन्धी
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तो वरि कवि दिई पडिवालिवि पच्छइ मरमि देहु अप्फालिवि । इत्तहि सुव्वयाई दुव्वासिरि नियमुणिवरहो पासि पंकय सिरि । पुरउ पणा कराविय सा तहो सामिय एह धीय हरियत्तहो । आयहिं कंतु रूवगुणवंत रायसिट्ठि जो पउरि महंत । अह तेण वि परिहरिय न जोइय अच्छइ दुक्ख महन्न विढोइय । एक पुत्तु हियवई साहारणु तासुवि गउ संदेहहो कारणु । चिरु a परसि वसंतहो सुम्मई वक्त न कावि जियंतहो । जे गय तेण समते आइय तेहिंमि किंपि भंति उप्पाइय । घत्ता । असहंतिहि पुत्तविओयदुहु आयहिं दिणु रयणि वि नाहिं सुहु । छेययि पर मग्गइं मरणु मई आणिय तुम्ह पायसरणु ॥ १६ ॥ भई मुणिंदु पहियरयणत्तउ अच्छइ एयहि पुत्तु जियंतउ । दिणि तीसमई इत्थु आवेसह रयणिहिं पच्छिलपहरि मिलेसइ । सुकिलपंचमि जा वइसाहहो तहिं रयणिहिं तहु आगमु चाहहो । मं मणि करउ किंपि उब्वेवर आयएं पुत्तरज्जु भुंजिव्व । अजवि एह भणिव्वी राणी होसइ बहुनरवरहं पहाणी । तिं वयणि आणंदु पणच्चिय निसुणिउं जेहिं तेवि रोमंचिय । सुव्वय भई करहि दिदु पच्चर जम्मसए वि न होइ असच्चर | तं निसुणेवि जाय दिहि देहहो गय कमलसिरि पराणिय गेहहो । धत्ता । थिय लीहउ दिति गणंति दिन वयसंजमनियमनिउत्तमण ।
जइ न मिलइ सुउ तीसमई दिणि ता पइसमि पजलंतइ जलणि ॥ १७॥ तो धणवइवि पउरु संजोइवि पियपाहुडई अउव्वइ ढोइवि । दरिस नियनंदणु नरनाहहो अंते रहो विहूइसणाहहो । तेण वि कुसल भणिवि पियवाएं किउ सम्माणदाणु अणुराएं । सालंकारु पउरु परिहाविउ पियमहुरक्खरवयणिहिं भाविउ । परमानंद पुणु विकयकज्जिय नियनियनिलयहं सयल विसज्जिय । सिट्ठिवि अतुलु महाधणु जोइवि विभिउ पुत्तवयणु अवलोइवि । निम्मलबुद्धि सुरु वियप्पइ हियवई धरइ न पयडउ जंपइ । सुकयकम्मफलसंगइतुलिं आयहो इक्कहो रयणहो मोहिं । जं धणु सुवियक्खणहं मिलीसह तं पुरि पहुमंदिर वि न दीसह ।
१ B भणेवि