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छट्ठो सन्धी नंदीसरि पढमागमि सुद्धइं सुअपंचमि उववासिय मुद्धई । दरिसियपुजमहिम दिहिगारी भवियायणमणनयणपियारी। थिय वयनियमसीलसंजुत्ती बहुउववासपरीस सहती। अखलियजिणवरसासणिभत्ती मासि मासि उववासणिउत्ती। मासि मासि गुरुवयणइं भावइ मासि मासि महदाणई दावइ । मासि मासि उजवणइं पोसइ मासि मासि साहम्मिय तोसइ । मासि मासि पुन्नप्फलु संचइ मासि मासि इंदियबल खंचा।
मासि मासि गुरुचरण वंदई मासि मासि अप्पाणउं निंदइ । घत्ता । वैरि एण तवेण दीणहिं मज्झु पुत्तु मिलउ।
पुणु पच्छइ होउ तं सिव सासयसुहनिलउ ॥६॥ तं निमुणेवि कलुणु दुक्कंदिर निय सा सुव्वयाइं जिणमंदिरु । करिवि पणाउ तिनाणपहाणउ पुच्छिउ रिसि परमागमजाणउं । परमेसर बहुदुक्खजणेरी एह धीय हरियत्तहो केरी। भत्तारि परिहरिय वराइय पुच्छइ तुम्ह किंपि दुधाइय। एयहिं तणउं पुत्तु गुणवंतउ सो परएसि कवण गइ पत्तउ । तहो आगमणु कहिंमि जइ देक्खहो तो सब्भावसरुवई अक्खहो । अह नउ मिलइ कहिंमि गउ दुग्गमि तो परिहरउ आसि पियसंगमि ।
अह कालिं अंतरिउ कहाणउं तो सव्वहं अवसाणु पहाणउं । घत्ता । तो भणइं मुणिंदु एयहिं नंदणु नउ मरइ।
वहुभोयासत्तु विविहविलासकेलि करइ ॥७॥ अन्नहिं दीवंतरि सकलत्तउ अच्छइ कामभोयआसत्तउ । एत्थु वि पुणु आगमणु करेसइ अडु रज्जु नरवइहिं धरेसइ । तुज्झु वि बहुसम्माणु करेसइ अन्जवि बहुवहुसयई वरेसइ । अजवि तुहुंमि भणिव्वी राणी होसहि बहुनरवरहं पहाणी। तं निसुणेवि जणणि परिओसिय आसावसरवियप्पि पोसिय । सुव्वय भणइं मुणिउं पई एउ न चलइ मुणिवयणहो संकेउ । तं निसुणिवि गय गेहि सइत्ती थियमुणिवयणरसायणि तित्ती।
बंधुयत्तहो जणेरि मणि झूरइ धणवइ पहुअत्थाणि विसूरह । घत्ता। किं किजइ राय वइ भारिय कजगइ ।
चिरयालपवासि मंच्छुडु कुसलिहिं ताहं जइ ॥८॥ १ B चरिएण