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વૈરાગ્યશતકમ્ ગા.૫૯/૬૦ राउत्ति य दमगुत्ति य, एस सवागुत्ति एस वेयविऊ । सामी दासो पुज्जो, खलोत्ति अधणो धणवइत्ति ॥५९ ॥
[उव.४६] राउ - २० थाय छे य - अने दमगु - द्रम(५९) थाय छे एस - । (छ) सवागुत्ति - यं थाय छे एस - मे (४) वेयविऊ - प्राम(41)थाय छ सामी - स्वामी थाय छ दासो - हास(५९1) थाय छे पुजो - पूच्य थाय छे खलो - हुर्डन (५९) थाय छे अधनो - निधन थाय छ धणवइ - धनवान (५५)थाय छ छा.: राजा इति च द्रमकइति च एष श्वपाकइति एष वेदविद् । स्वामी दासः पूज्यः खल इति अधनो धनवान् इति ॥५९ ॥ अर्थः सा (१) २1% थाय छ, द्रम (५९) थाय छे. यंदा थाय छ, प्रामए (५९) थाय छे. स्वामी थाय छे, घास. (५५) थाय छ, पूय थाय छे. हुठन (५९) थाय छ. निधन थाय छ भने धनवान (५९) थाय छ । ५८ ॥
नवि इत्थ कोइ नियमो, सकम्मविणिविट्ठसरिसकयचिट्ठो। अनुन्नरूववेसो, नडुव्व परिअत्तए जीवो ॥६० ॥
[उव.४७] नवि - नथी
इत्थ - मह