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अर्थपूर्ण नहीं है, बेमानी है। कि परमात्मा ने संसार को बनाया कि आदमी ज्ञान को उपलब्ध हो जाये ? यह भी बात बेमानी है। इतना बडा संसार बनाया तो ज्ञान ही सीधा दे देता । इतने चक्कर की क्या जरूरत थी? कि परमात्मा ने बुराई बनाई कि आदमी बुराई से बचे। ये कोई बातें हैं! ये कोई उत्तर है! बुराई से बचाना था तो बुराई बनाता ही नहीं। प्रयोजन ही क्या है? यह तो कुछ अजीब सी बात हुई कि जहर रख दिया ताकि तुम जहर न पीयो तलवार दे दी ताकि तुम मारो मत। कांटे बिछा दिये ताकि तुम सम्हलकर चलो।
पर जरूरत क्या थी? ठीक इस देश में उत्तर दिया गया है। उत्तर है - लीलावत। यह जो इतना विस्तार है, यह किसी कारण नहीं है। इसके पीछे कोई प्रयोजन नहीं है। इसके पीछे कोई व्यवसाय नहीं है। इसके पीछे कोई लक्ष्य नहीं है, यह अलक्ष्य है। फिर क्यों है?
जैसे छोटे बच्चे खेल खेलते हैं, ऐसा परमात्मा अपनी ऊर्जा का स्फुरण कर रहा है। ऊर्जा है तो स्फुरण होगा। जैसे झरनों में झर-झर नाद हो रहा है, जैसे सागरों में उतुंग लहरें उठ रही हैं। यह
सारा
जगत एक महाऊर्जा का सागर है। यह ऊर्जा अपने से ही खेल रही है, अपनी ही लहरों से खेल रही है। खेल शब्द ठीक शब्द है। लीला शब्द ठीक शब्द है। यह कोई काम नहीं है जो परमात्मा कर रहा है। लीलाधर ! यह उसकी मौज है। यह उसका उत्सव है।
इस भांति देखोगे तो तुम्हें समझ में आयेगा, अलक्ष्यस्फुरण का क्या अर्थ हुआ| अलक्ष्यस्फुरण का अर्थ हुआ, इसके पीछे कोई भी कारण नहीं है।
पूछते हो, फल क्यों खिलता है? पूछते हो, वृक्ष क्यों हरे हैं? पूछते हो, नदी क्यों सागर की तरफ बहती है? पूछते हो, क्यों आदमी आदमी से प्रेम करता? कभी पूछा, जब तुम किसी के प्रेम में पड़ जाते किसी स्त्री, किसी पुरुष के तुमने पूछा, क्यों? कोई क्यों नहीं है। कोई उत्तर नहीं है। पूछने जाओगे, उत्तर न पाओगे। या जो भी तुम उत्तर पाओगे, सब बनावटी होंगे, झूठे होंगे।
तुम कहते हो, मैं इस स्त्री के प्रेम में पड़ गया क्योंकि यह सुंदर है। बात तुम उल्टी कह रहे। यह तुम्हें सुंदर दिखाई पड़ती है क्योंकि तुम प्रेम में पड़ गये। यह दूसरों को सुंदर नहीं दिखाई पड़ती। लैला सिर्फ मजनूं को सुंदर दिखाई पडती थी, किसी को सुंदर नहीं दिखाई पड़ती थी। गांव के सम्राट ने मजनूं को बुलाकर कहा कि मुझे तुझ पर दया आती है पागल यह लैला बिलकुल साधारण है और तू नाहक दीवाना हुआ जा रहा है। यह देख - एक दर्जन स्त्रियां उसने खड़ी कर दीं महल से । इनमें से सूर कोई भी चुन ले तुझे रास्ते पर रोते देखकर मैं भी दुखी हो जाता हूं। और दुख और भी ज्यादा हो जाता है कि किस लैला के पीछे पड़ा है? काली-कलूटी है, बिलकुल साधारण है। ये देख इतनी सुंदर स्त्रियां।
मजनूं ने गौर से देखा, कहने लगा, क्षमा करें। इनमें लैला कोई भी नहीं है।
फिर वही बात, सम्राट ने कहा, लैला में कुछ भी नहीं रखा है।
नूंह लगा, आप समझे नहीं। लैला को देखना हो तो मजनूं की आंख चाहिए। मेरी आंख