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होगी। मेरी प्रतीक्षा बासी न पड़ेगी। मैं रोज सुबह उसी उत्साह से उलूंगा और प्रतीक्षा करूंगा।
तो शायद आज ही आगमन हो जाये।
इतनी जहां गहन प्रतीक्षा है, वहां इतनी ही गहन प्रार्थना हो जाती है। उसी प्रार्थना में आगमन है। जहां प्रार्थना पूर्ण हो गई, वहां परमात्मा आ जाता है।
आखिरी प्रश्नः भगवान, अष्टावक्र-गीता पर आपको सुनकर अब तो सभी आधार धराशायी होते जा रहे हैं। बुद्धपुरुष और बुद्धपुरुषों के दिये सूत्र भी एक-एक करके छूटते जा रहे हैं। खोते जा रहे हैं। बड़ी आश्चर्य | न | रेंद्र ने पूछा है। पूर्ण घड़ियां हैं। अहोभाव, प्रणाम!
| एक तो यह प्रश्न है नहीं, इसलिए __ जैसा प्रश्न वैसा उत्तर। यह रहा उत्तरहो आयी देह-देहरी सुरभीली ये स्यात कंत आने के लक्षण हैं उभरी दर्पण पर रेखा सिंदूरी नूपुर के स्वर बिखरे दालानों में हो गई देह कस्तूरी कस्तूरी हो आयीं जूड़े की अलकें ढीली ये विरह अंत आने के लक्षण हैं आंगन की धूप हो गई सोनीली
ये तो वसंत आने के लक्षण हैं! अहोभाव आ गया, तो वसंत आ गया। अहोभाव आ गया, तो हो गई देह कस्तूरी-कस्तूरी। अहोभाव आ गया
हो गई देह-देहरी सुरभीली
ये स्यात कंत आने के लक्षण हैं तो प्यारा आता ही होगा। अहोभाव उस प्यारे के आने की पगध्वनि है।
__उभरी दर्पण पर रेखा सिंदूरी
दिल का देवालय साफ करो
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