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ही नहीं चाहिए था, यह तो आपकी निजी बात है। लेकिन मुझसे भूल तो हो गई कि मैं कई रातें जागकर देखता रहा। और आपके उस सौंदर्य को देखना रात, बड़ा अदभुत था। एक प्रश्न मन में उठता बार-बार कि क्या आप रात भी होश रखते हैं?
तो बुद्ध ने कहा, सागर को कहीं से भी चखो, खारा पाओगे। बुद्ध को कहीं से भी चखो, बुद्धत्व पाओगे। सोते में भी बुद्धत्व कहां जायेगा? होश कहां जायेगा? दीया जलता रहेगा।
यह हुआ स्वरूपभाक्। यह हुआ स्वरूप का भजन। . बुद्ध रात सपने में भी हिंसा नहीं करेंगे। तुम दिन में भी हिंसा करोगे। तुम रात में भी हिंसा करोगे। असल में दिन में जो-जो हिंसायें बच जायेंगी, न कर पाओगे, वह रात में करोगे। बचा-खुचा रात निपटाना पड़ेगा न! हिसाब-किताब तो पूरा करना पड़ता है। खाते-बही तो सब ठीक रखने पड़ते हैं। दिन में किसी को चांटा मारा, दिल तो गर्दन काट देने का था। चांटा मारा, क्योंकि समझौते करने पड़ते हैं। ऐसे गर्दन रोज काटोगे तो अपनी भी ज्यादा देर बचेगी नहीं। मगर रात सपने में तो कोई कानून नहीं है, कोई बाधा नहीं है। रात सपने में तो गर्दन काट सकते हो; तो काट दोगे।
तुम अपने सपनों को देखना। वह तुम्हारे दिन का ही बचा-खुचा है। जो दिन में नहीं कर पाये वह तुम रात में करोगे। बुद्ध को तो कुछ करने को बचा नहीं है। दिन में ही कुछ नहीं कर रहे हैं तो रात में करने को कुछ बचता नहीं। दिन में भी खाली, रात में भी खाली।
सागर को कहीं से भी चखोगे, खारा ही पाओगे, बुद्ध कहते हैं। मुझे कहीं से चखोगे, बुद्धत्व ही पाओगे, बुद्ध कहते हैं। .. रात बुद्ध को सपने नहीं आते। सपने तो उन्हीं को आते हैं जो वासना में जीते हैं। सपने तो उन्हीं को आते हैं जो भविष्य में जीते हैं। सपने तो उन्हीं को आते हैं जो बिकमिंग-भवितुमिच्छति। जो कहते हैं यह होना है, यह होना है, ऐसा होना है, वैसा होना है; जिनको होने का पागलपन सवार है; जिनको बुखार सवार है-कुछ होकर रहना है—दिल्ली पहुंचना, कि राष्ट्रपति होना, कि प्रधानमंत्री होना। दिन में नहीं हो पाते। दिन में सभी तो नहीं हो पाते। अच्छा ही है। एकाध ही प्रधानमंत्री के होने से काफी उपद्रव होता है; सभी हो जायें तो बड़ी मुश्किल हो जाये। बाकी नींद में हो जाते हैं। बड़ी कृपा है। _दो आदमी चुनाव में खड़े हुए थे। मैंने मुल्ला से पूछा, किसको वोट देने के इरादे हैं? उसने कहा, बस एक ही सौभाग्य है कि दो में से एक ही जीत सकता है। और तो सब दुर्भाग्य ही है। मगर एक ही सौभाग्य की बात है कि दो में से एक ही जीत सकता है। दोनों जीत जाते तो दोहरी मुश्किल होती। दोनों शैतान हैं। अब कम जो शैतान है उसको वोट दे देंगे। मगर एक अच्छा लक्षण है चुनाव का कि एक ही जीतता है। अगर दोनों जीत जाते तो क्या होता? __बहुत सपनों में दिल्ली पहुंचते हैं। कुछ जागे-जागे पहुंच जाते हैं। जागे-जागे पहुंचते हैं वे भी काफी उपद्रव करते हैं। तुम्हारी राजधानियों में जितने लोग हैं, ये सब पागलखानों में होने चाहिए। ___अगर राजधानियों के आसपास दीवालें खड़ी करके पागलखाने का तख्ता लगा दिया जाये, दुनिया बेहतर हो।
ये पागल...! सभी होना चाहते हैं लेकिन। तो जो नहीं हो पाते वे सपनों में हो जाते हैं। तुम सपनों
जानो और जागो!
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