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________________ बैठे, तालमेल पड़े न पड़े; लेकिन जो विधि तुम्हारे भीतर से आ गयी है वह विधि तो निश्चित ही तालमेल रखती है। ____ अमरीका में एक बहुत अदभुत आदमी हुआ इस सदी में : कायसी। उसे धीरे-धीरे एक विधि सध गयी; अचानक सधी। एक आदमी बीमार था। और यह छोटा बच्चा था कायसी। और वह आदमी मरने के करीब था। और उस आदमी से इसे बड़ा प्रेम था-पड़ोसी था और इस बच्चे को खिलाता रहता था, इसको साथ घुमाने ले जाता था। उससे बड़ा लगाव था। और चिकित्सकों ने कह दिया कि यह आदमी बचेगा नहीं। तो यह छोटा बच्चा बड़ा दुखी हुआ। यह क्या करे? यह उस आदमी की खाट के पास बैठ कर रोने लगा। रोते-रोते उसको झपकी लग गयी। वह करीब-करीब बेहोश हो गया। और बेहोशी में कुछ बोला। वह आदमी खाट पर पड़ा सुन रहा था। वह जो बेहोशी में बोला, वह बड़ी अजीब बात थी। उसने एक दवाई का नाम लिया बेहोशी में। यह छोटा बच्चा, इसको दवाई का तो कोई पता ही नहीं था। और ऐसी दवाई का नाम लिया कि वह जो आदमी पड़ा था, उसको भी पता नहीं था। और उसने उस बेहोशी की हालत में कहा : यह दवा लेने से तू ठीक हो जाएगा। वह आदमी तो उठ कर बैठ गया। उसने अपने डाक्टरों को पूछा। डाक्टरों ने कहा ः इस तरह की दवा हमने सनी नहीं, लेकिन पता करना चाहिए, हो सकता है। वह दवा मिल गयी। वह अमरीका में तो न मिली, इंग्लैंड में मिली। और वह दवा लेने से वह आदमी ठीक हो गया। तो कायसी के हाथ में कुंजी लग गयी। उसके बाद तो उसने जीवन भर करोड़ों लोगों का इलाज किया। और दवा वगैरह का तो कोई उसे पता ही नहीं था। बस, वह बैठ जायेगा मरीज के पास, आंख बंद कर लेगा, थोड़ी देर में उसका शरीर कंपेगा, गिर पड़ेगा। और तब तुम उससे पूछ लो कि यह आदमी बीमार है, यह क्या लेने से ठीक होगा? कभी-कभी तो उसने ऐसी दवाएं बतायीं जो कि अभी पैदा ही नहीं हुई थीं, जो अभी बनी ही नहीं थीं; दो साल बाद बनीं; साल भर बाद बनीं। लेकिन जैसे ही वह दवा ली, बीमार ठीक हो गये। कायसी से लोग पूछते थे, तुम कैसे करते हो? वह कहता : मुझे कुछ पता नहीं। मैं तो करता ही नहीं हूं। मैं तो बिलकुल बेहोश हो जाता हूं। उस बेहोशी में कुछ होता है। ___कायसी अपने अचेतन में उतर जाता था। आकस्मिक यह घटना घटी। लेकिन इसने कायसी का पूरा जीवन बदल दिया। और न केवल कायसी का जीवन बदल दिया, लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन बदल दिया। इससे हजारों लोगों को सहायता मिली; हजारों प्रकार से सहायता मिली। ___ यह तुम्हें जो घटा है, एक कुंजी हाथ लगी है। इसका उपयोग करो। हो सकता है, यही तुम्हारी आत्म-उपलब्धि का मार्ग बनने को हो। 238 अष्टावक्र: महागीता भाग-4
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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