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चौथा प्रश्न : जवाब दें? मैं लापता हो गया हूं मेरे प्रभु, मुझे
दुनिया करे सवाल तो हम क्या
मेरा पता बतायें। पूछते हैं लोग कि मैं कहां से
हूं ?
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मानदारी बरतना । अगर उत्तर भीतर से | न आ रहा हो तो कह देना : मुझे कुछ
पता नहीं । सचाई से इंच भर डगमगाना मत। जो पता न हो तो कह देना, पता नहीं है। जो पता नहीं है, नहीं है – करोगे क्या ? और मैं अगर तुम्हें उत्तर दे दूं तो तुम्हें पता थोड़े ही हो जायेगा। वह उत्तर मेरा होगा। मैं तुमसे कह दूं कि तुम ब्रह्म हो, परमात्मा हो– इससे क्या होगा ? ये सब बातें तो तुमने सुनी हैं। रोज तो मैं तुम्हें कहता हूं : तुम आत्मा हो ! इससे क्या होगा ?
नहीं, यह उत्तर काम न आयेगा, क्योंकि यह उत्तर किसी और से आया है। शुभ घड़ी आयी है तुम्हारे जीवन में कि तुम लापता हो गये। आधी घटना तो घट गयी। आधी घटना तो यही है और बड़ी महत्वपूर्ण घटना घट गयी, कि तुम्हें अपना पुराना पता-ठिकाना थोड़ा भूल गया है। अच्छा हुआ। कचरा तो हटा ! अब जो वास्तविक उत्तर है वह तुम्हारे भीतर पैदा होगा। थोड़ी प्रतीक्षा करो। क्योंकि अगर तुमने जल्दी की तो तुम फिर बाहर से कोई उत्तर ले लोगे। अभी बाहर के उत्तरों से ही तो छुटकारा हुआ है, इसीलिए तो लापता हो गये ।
तुम्हारे पिता ने कहा था तुम्हारा नाम यह है । तुम्हारी मां ने कुछ कहा था कि तुम्हारा पता-ठिकाना यह है । तुम्हारे स्कूल, तुम्हारे शिक्षक, तुम्हारे मित्र, प्रियजनों ने तुम्हारा पता तुम्हें बताया था कि तुम कौन हो । उन्होंने तुम्हारी परिभाषा की । वह उधार थी। वह बाहर से थी। तुम्हें कुछ पता न था । बाहर से लोगों ने समझा दिया नाम, धर्म, जाति, देश – सब समझा दिया; ठोक ठोक कर समझा दिया । सब लेबिल बाहर से चिपका दिये और तुम भीतर कोरे के कोरे हो। तुम्हें कुछ पता नहीं कि तुम कौन हो । किसी ने कह दिया राम तुम्हारा नाम है, हिंदू तुम्हारी जाति है, ब्राह्मण तुम्हारा वर्ण है— चतुर्वेदी, कि द्विवेदी, कि त्रिवेदी - सब बता दिया । सब तरह के लेबिल चिपका दिये डब्बे के ऊपर से । डब्बा
खाली है। उसे कुछ पता नहीं । भीतर शून्य है । इन लेबलों के पीछे तुम लड़े भी, मरे भी; झगड़ा-झांसा भी किया; किस-किस से न उलझ गये! किसी ने धक्का दे दिया और तुम्हें पता चल गया कि शूद्र है, तो मारपीट हो गयी। तुम ब्राह्मण! लेबिल का ही फर्क है। उसके ऊपर शूद्र का लेबिल लगा है, तुम्हारे ऊपर ब्राह्मण का लेबिल लगा है। लेबिल के भ्रम में आ गये। खूब धोखा खाया। किसी ने बता दिया हिंदू हो तो हिंदू हो गये; मुसलमान हो, तो मुसलमान हो गये। जिसने जैसा बता दिया वैसा मान लिया।
ध्यान के प्रयोग से, इधर मेरे पास बैठ-बैठ कर, सत्संग में, धीरे-धीरे तुम्हारा कूड़ा-कर्कट ह गया, , लेबिल हट गये। अब घबराहट हो रही है। क्योंकि अब तुम्हें लगता है, तुम खाली हो । खाली तो तुम तब भी थे जब लेबिल लगे थे। अब लेकिन पता चला कि तुम खाली हो। तो तुम बड़ी जल्दी में हो। तुम कहते हो मुझसे कि आप कुछ लिख दें इस डब्बे पर। फिर मैं लिख दूंगा, फिर वही हो जायेगा। फिर लिखा बाहर से होगा।
साक्षी, ताओ और तथाता
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