________________
ये सूत्र पंख बन सकते हैं। इन सूत्रों के सहारे तुम उड़ सकते हों-अनंत की दूरी पार कर सकते हो! ये सूत्र अनूठे हैं, बहुमूल्य हैं। इनसे मूल्यवान कभी भी कहा नहीं गया है। इनका खूब पाठ करना! ये धीरे-धीरे तुम्हारे खून में मिल जाएं ये तुम्हारी मांस-मज्जा बन जाएं। ये तुम्हारे हृदय की धड़कनों में समा जाएं। जाने-अनजाने, जागते -सोते इनकी छाया तुम्हारे पीछे बनी रहे-तो, तो ही, उस महाक्रांति की घटना घट सकती है। और उसके बिना घटे तुम चैन नहीं पा सकोगे। उसके बिना घटे, कभी किसी ने चैन नहीं पाया है।
हरि ओम तत्सत्!