________________ तो कोई और करेगा। तू न मारेगा तो कोई और मारेगा। ये हाथ तेरे न उठायेंगे गांडीव को, तो किसी और के उठायेंगे। तू कर्म छोड़ कर मत भाग; सिर्फ कर्ता मत रह जा। कर्ता- भाव छूटते ही जीवन स्वस्थ हो जाता है, शांत हो जाता है। हरि ओम तत्सत्! भाग-3 समाप्त समाप्त