________________
मुझे यह महसूस हो रहा है कि खालिके -जीस्त सो रहा है। बशर मुहब्बत से जीस्त के हुस्ने रंग से हाथ धो रहा है। कभी तो जागेगा सोने वाला कभी तो इस सबकी तीरगी को मिटाएगा सुबह का उजाला। कभी तो जागेगा सोने वाला कभी तो इस सबकी तीरगी को
मिटाएगा सुबह का उजाला। वह होगा-होने ही वाला है! निश्चित ही है! जब रात आ गई तो सुबह दूर नहीं। जब अंधेरा घना होने लगा और तारों की छांव गहरी होने लगी, तो सूरज करीब आने लगा। जल्दी ही क्षितिज पर फैल जाएगी उसकी लाल रेखा।
प्रतीक्षा करो! प्रार्थना करो! आशा को जगाए रखो! आंख खोल कर पुकारते रहो! अंधेरा भी उसका है, प्रकाश भी उसका है! मृत्यु भी उसकी, जीवन भी उसका। इसलिए सब जगह उसे पहचानते रहो।
हरि ओम तत्सत्!