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हार गया, समझ लिया कि कुछ सार नहीं, सो गया, विश्राम में लौट गया- तूफान गया ।
तूफान कोई वस्तु नहीं है, तूफान एक उद्विग्न अवस्था है। अहंकार भी तूफान जैसा है। तुम्हारे चित्त की उद्विग्न अवस्था का नाम अहंकार है। जैसे-जैसे तुम शांत होने लगे, अहंकार विदा होने लगा। परम शांति में तुम्हारी सीमा खो जाती है, तुम अचानक असीम के साथ एक हो जाते हो। 'जब मैं हूं तब बंध है। '
यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बंधन तदा ।
' और जब मैं नहीं, तब मोक्ष। '
'इस प्रकार विचार कर न इच्छा कर, न ग्रहण कर, न त्याग कर। '
बड़ा सीधा सूत्र है, लेकिन तुम कहोगे, बड़ा जटिल है! यह तो उलझा दिया। सीधी बात कहो, या तो कहो कि ग्रहण करो, भोगो-समझ में आता है। यह भी समझ में आता है कि मत भोगो, छोड़ो, त्यागो। यह भी समझ में आता है। यह क्या बात है ? यह तो बड़ी उलझन है।
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अष्टावक्र कहते हैं : 'ऐसा विचार कर न इच्छा कर, न ग्रहण कर और न त्याग कर ।
हमें तो बड़ी जटिलता मालूम होती है ऊपर से देखने पर कि यह तो बड़ी उलझन की बात हो गई। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं, हम कामवासना के साथ क्या करें? भोगें ? दबाएं? क्या करें? आप हमें उलझन में डाले हुए हैं।
जो कहते हैं, भोगो.... चार्वाक कहते हैं, भोगो । बृहस्पति ने कहा, 'कोई फिक्र न करो। ऋण कृत्वा घृतं पिवेत! अगर ऋण ले कर घी पीना पड़े तो पीयो मजे से लौट कर आता कौन? किसका ऋण चुकाना है? किसको चुकाना है? मरे कि मरे। भोग लो लूट कर भी भोगना हो तो भोग लो। अपनी है कि पराई है स्त्री, इसकी फिक्र मत करो। कौन किसका है? मर गए कि सब राख है। कोई मर कर आता नहीं। कोई आत्मा इत्यादि नहीं, इसलिए अपराध इत्यादि की व्यर्थ बातों में मत पड़ो। न कोई पाप है, न कोई पुण्य ।'
यह भी बात समझ में आती है। सौ में निन्यानबे लोग यही मानते हैं, चाहे कहते कुछ भी हों। उनके कहने पर मत जाना - देखना, क्या करते हैं? उनकी किताबों में मत खोजना, उनके चेहरों में खोजना।
हरेक चेहरा खुद एक खुली किताब है यहां, दिलों का हाल किताबों में ढूंढता क्यों है?
मुसलमान को देखना हो तो कुरान में मत देखना, अन्यथा गलती में पड़ोगे। क्योंकि मुसलमान का कुरान से क्या लेना-देना है, जितना हिंदू का लेना-देना है कुरान से उतना ही मुसलमान का लेना-देना है, उससे ज्यादा नहीं। हिंदू को देखना हो तो वेद और उपनिषदों में मत देखना । उससे हिंदू को क्या लेना-देना है? हिंदू को देखना हो तो उसकी आंखों में देखना, उसके चेहरे में देखना । सिद्धांतों में मत झांकना, सिद्धांत बड़े धोखे से भरे हैं। हमने सिद्धांत पकड़ लिए हैं अपनी असलियत छिपाने को। कुरान में ढंके बैठे हैं। कोई वेद को ओढ़े बैठा है, कोई राम-नाम चदरिया डाले है- उनके भीतर