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के सदा खिलाफ रहे वे आ कर मेरे पास संन्यास ले लेते हैं। जो धर्म के सदा खिलाफ रहे, वे मेरे पास आ कर ध्यान करने लगते हैं। मेरे पास नास्तिक आते हैं और कहते हैं, 'बड़ी मुश्किल और आस्तिकों से तो हम लड़ लेते हैं, आपसे लड़ना नहीं हो पाता। ' मैं नास्तिक, महानास्तिक- मुझसे लड़ोगे कैसे? तुम एक नास्तिक चाल चलो, मैं दो नास्तिक चाल चलता हूं। मेरी आस्तिकता, नास्तिकता के विपरीत नहीं है-नास्तिकता के ऊपर है। मैं नास्तिकता को सीढ़ी बना लेता हूं। मैं कहता हूं? चलो यह खेल भी थोड़ी देर खेल लें। नास्तिक हो तो चलो नास्तिकता का खेल खेल लें। नास्तिकता मेरे लिए आस्तिकता की सीढ़ियां बन गई। संसार को मैंने संन्यास की सीढ़ी बनाया। इसलिए जो किसी भी प्राचीन परंपरागत संन्यासी से प्रभावित न होंगे, वे मेरी प्रतीक्षा ही कर रहे हैं। वे जब भी मेरे संपर्क में आएंगे, उनको डूब जाना पड़ेगा।
मैंने कुछ फूल चुने मैंने कुछ गीत बुने अपनी महफिल को सजाने के लिए अपने जीवन को बिताने के लिए खाए कितने ही फरेब अपने मन को बहलाने को कच्चे धागों से कई जाल बुने मैंने कुछ फूल चुने। आसपास अपने बुनी सपनों की ठंडी छाया मन लुभाती रहीं सुंदर काया फिर भी यह आस की माया मैंने दिन-रैन कभी चैन नहीं क्यों पाया! मैंने कुछ गीत बुने गीत सुने जो सुने सर धुने इन मधुर गीतो की लय में खोकर मुस्कुराते हुए भोले मन को मैंने बहलाया है रूप-रस पाने का भ्रम खाया है! मैंने जो फूल चुने मैंने जो गीत बुने मन को उन फूलों ने उन गीतो ने गर्माया है नौजवानी के हसी ख्वाबों ने