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पूछा है 'हेमा' ने।
हेमा को जो आबू में हुआ था वह निश्चित अनूठा था। जिसको झेन फकीर सतोरी कहते हैं, समाधि की पहली झलक, हेमा को आबू में घटी। इतनी आकस्मिक थी कि वह खुद भी भरोसा न कर पाई। तीन दिन तक वह हंसती ही रही, उसकी हंसी देखने योग्य थी। वैसी हंसी तुम्हें फिर कहीं और सुनाई नहीं पड़ सकती। वैसी हंसी केवल सतोरी के बाद ही आती है।
यह मैंने उससे तब कहा भी नहीं था कि यह सतोरी है, आज कहता हूं। क्योंकि उस वक्त कहने से उसका अहंकार मजबूत हो सकता था। अब डर नहीं है।
वह तीन दिन तक हंसती ही रही। उसकी हंसी बड़ी अलौकिक थी। वह रुक ही न पाती थी; अकारण, सतत हंसी जारी रही।
ऐसा बोधिधर्म के जीवन में उल्लेख है, जब उसे पहली दफे समाधि उपलब्ध हुई तो वह हंसता ही रहा तीन दिन तक। हंसता रहा इस बात पर, कि भरोसा ही न आए कि क्या हो गया और ऐसा रस, और ऐसी गुदगुदी कि भीतर से कोई गुदगुदाए जा रहा है। अपनी सीमा में न रहा।
उसके परिवार के लोग चिंतित भी हुए कि यह पागल हो गई। स्वभावत, मिनट दो मिनट की हंसी भी कठिन मालूम होने लगती है। हम रोने के ऐसे आदी हैं कि अगर आदमी तीन दिन रोता रहे तो कोई पागल न कहेगा। देखो मजा, उसको हम स्वीकार करते हैं। लेकिन अगर कोई आदमी तीन दिन तक सतत हंसता रहे तो पागल निश्चित हो गया। यहां आनंदित होने में बड़ा खतरा है। यहां लोग ऐसे दुख में रहे हैं कि दुख को तो स्वीकार करते हैं; आनंद तो संभव ही नहीं है, ऐसा मान लिया है; सिर्फ पागलों को हो सकता है।
_सिगमंड फ्रॉयड ने अपने जीवन भर के अनुभवों के बाद लिखा है कि आदमी सुखी हो ही नहीं सकता। चालीस साल का सतत मनोविश्लेषण, हजारों-हजारों रोगियों का इलाज और उसके बाद उसका यह अनुभव है कि आदमी सुखी हो ही नहीं सकता। यह असंभव है। दुख आदमी की नियति है। तो जब सिगमंड फ्रॉयड जैसा विचारशील व्यक्ति यह कहे तो सोचना पड़ता है कि जरूर दुख आदमी की नियति बन गया है। कृष्ण अपवाद मालूम होते हैं, नियम नहीं। बांसुरी लगता नहीं कि बज सकती है जीवन में। और कभी-कभी जब हम बांसुरी में डूबते भी हैं तो सिर्फ इसीलिए कि जीवन का दुख भूल जाए, और कुछ नहीं। बांसुरी में हमें रस नहीं है, जीवन का दुख भुलाने का एक उपाय है, विस्मरण की एक व्यवस्था है।
हेमा जब हंसी थी तो वह हंसी वही थी जो बोधिधर्म की हंसी थी। वह तीन दिन तक हंसती रही। उसके परिवार, प्रियजनों में तो बड़ी घबड़ाहट फैल गई। उसके परिवार और प्रियजनों में से जो मुझे सुनने आते थे, उन सबने आना बंद कर दिया. हेमा तो पागल हो गई! लेकिन बड़ी अनूठी घटना घटी थी।