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मिट जाएगा। अगर शारीरिक दर्द है तो दर्द रहेगा। लेकिन दोनों हालत में र्द के पार हो जाओगे। मानसिक होगा तो दर्द गया; अगर शारीरिक होगा तो दर्द रहा; लेकिन अब मुझे दर्द हो रहा है, ऐसी प्रतीति नहीं होगी। दर्द हो रहा है, जैसे किसी और के सिर में दर्द हो रहा है। जैसे किसी और के पैर में दर्द हो रहा है। जैसे किसी और को चोट लगी है। बड़े दूर हो जाएगा। तुम खड़े देख रहे हो। तुम द्रष्टा, साक्षी मात्र!
घबड़ाओ मत। 'जिंदगी देने वाले सुन! तेरी दुनिया से जी भर गया।
मेरा जीना यहां मुश्किल हो गया।' यह जिसने तुम्हें जिंदगी दी है, उसके कारण नहीं हुआ है यह तुम्हारे कारण हुआ है। इसलिए घबड़ाओ मत; क्योंकि अगर उसके कारण हुआ हो, तब तो तुम्हारे हाथ में कुछ भी नहीं। तुम्हारे कारण हुआ है, इसलिए तुम्हारे हाथ में सब कुछ है। तुम जागो तो यह मिट सकता है। और ये गीत गाने से कुछ भी न होगा-कुछ करना होगा! कुछ श्रम करना होगा, ताकि भीतर की निद्रा टूटे।
निद्रा टूट सकती है। यह जो अंधेरा दिखाई पड़ रहा है, यह सदा रहने वाला नहीं है। सुबह हो सकती है।
यह एक शब की तडूफ है, सहर तो होने दो बहिश्त सर पे लिए रोजगार गुजरेगा। फिजा के दिल से परअपशा है आरजू -ए-गुबार जरूर इधर से कोई शहसवार गुजरेगा। 'नसीम' जागो, कमर को बांधो उठाओ बिस्तर कि रात कम है। रात तो गुजर ही जाएगी। तैयारी करो! 'नसीम' जागो, कमर को बांधो
उठाओ बिस्तर कि रात कम है। साक्षी- भाव बिस्तर का बांध लेना है, कि अब तो सुबह होने के करीब है। और तुमने जिस दिन बांधा बिस्तर, उसी दिन सुबह करीब आ जाती है। यह सुबह कुछ ऐसी है कि तुम्हारे बिस्तर बांधने पर निर्भर है। इधर तुमने बांधा, इधर तुमने तैयारी की, तुम जाग कर खड़े हो गए-सुबह हो गई!
सुबह अर्थात तुम्हारा जाग जाना। रात अर्थात तुम्हारा सोया रहना।
रो-रो कर दर्द की बातें कर लेने से कुछ हल न होगा। यह तो तुम करते ही रहे हो। यह रोना तो काफी हो चुका है। यह तो जन्मों-जन्मों से तुम रो रहे हो और कह रहे हो कि कोई कर दे, दुनिया को बनाने वाला हो या न हो। तुम किससे प्रार्थना कर रहे हो? उसका तुम्हें कुछ पता भी नहीं है। हो न हो; हो, बहरा हो; हो, और तुम्हें दुख देने में मजा लेता हो; हो, और तुम्हारा दुख उसे दुख जैसा