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उलझे तो अभी भी हो। और भाग्य चक्र में आदमी उलझा ही रहता है जब तक पूरा न जाग जाए। भाग्य - चक्र का अर्थ ही इतना होता है कि हम बेहोशी से चले जा रहे हैं। भाग्य होता ही बेहोश आदमी का है। होश से भरे आदमी का कोई भाग्य नहीं होता । बेहोश आदमी के संबंध में ज्योति भविष्यवाणी कर सकते हैं। होश वाले आदमी के संबंध में कोई ज्योतिषी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। क्योंकि होश से भरा हुआ आदमी क्या करेगा, इसका कोई निर्णय अतीत के हाथों में नहीं है। बेहोश आदमी क्या करेगा, यह सब अतीत पर निर्भर है।
अगर तुम्हारा अतीत बता दिया जाए, पता हो, तो तुम्हारे भविष्य की भी घोषणा की जा सकती है। तुमने कल भी क्रोध किया था, परसों भी क्रोध किया था, और पूरी पीछे क्रोध किया था - तुम कल भी क्रोध करोगे, इसमें कुछ अड़चन नहीं है। क्योंकि तुम वही करोगे जो तुम करते रहे हो। तुम आद से चलते हो, यंत्रवत हो । भाग्य यानी यंत्रवत जीवन |
जैसे-जैसे होश जगता है, ध्यान जगता है, आदमी भाग्य के बाहर होने लगता है। फिर तुम अतीत से संचालित नहीं होते। फिर प्रतिक्षण जो घटता है, उसके साथ तुम्हारा संवाद होता है। वह संवाद सीधा है। वह पुरानी आदत के कारण नहीं। उसका कोई निर्धारण तुम्हारे पीछे के अनुभवों से नहीं होता। इस क्षण की मौजूदगी और इस क्षण की उपस्थिति और इस क्षण का बोध ही उसका निर्णायक होता है। लेकिन 'दिनेश' के जीवन में चेष्टा तो है बाहर आने की - और वही शुभ है। चेष्टा है तो बाहर आना भी हो जाएगा।
मुझे इसकी चिंता नहीं है कि तुमने क्या किया। तुमने पाप किए तुमने बुरे कर्म किए मुझे उसकी कोई चिंता नहीं, या कि तुमने पुण्य किए। न तो मेरे लिए पुण्य का कोई मूल्य है और न पाप का कोई मूल्य है; क्योंकि पुण्य भी तुमने सोए-सोए किए, पाप भी तुमने सोए-सोए किए। तुम चोर थे तो सोए थे, तुम संत थे तो सोए थे। मेरे लिए तो एक ही बात का मूल्य है कि अब तुम्हारे मन में जागने की आकांक्षा पैदा हुई। उस आकांक्षा पर सब निर्भर है। वही आकांक्षा जीवन की सबसे बड़ी घटना है। मैं कि बरबादे - निगाराने - दिलाआरा ही सही,
मैं कि रुसवा - ए - मय- ओ-सागरो - मीना ही सही, मैं कि मक्यूले - गुलो - नरगिसे - सहला ही सही, फिर भी मैं खाके - रहे - साहिदे - नजरा हूं दोस्त। मैं कि बरबादे - निगाराने - दिलाआरा ही सही ।
- हृदय आकर्षक सुंदरियों द्वारा बरबाद, मान लिया यही सही है।
मैं कि रुसवा - ए - मय- ओ-सागरो - मीना ही सही
- या कि शराब के प्याले और सुराही के द्वारा अपमानित, मान लिया, तो वह भी ठीक | मैं कि मक्यूले - गुलो - नरगिसे सहला ही सही
- और या कि फूलों, नरगिस के फूल, ऐसी आंखों वाली सुंदरियों द्वारा मारा हुआ ठीक, वह भी ठीक, वह भी स्वीकार कर लिया।