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उस्सप्पिणी अनंता, पुग्गल - परिअट्टओ मुणेअव्वो । तेणंतातीअद्धा, अणागयद्धा अनंतगुणा ॥ ५४ ॥
अनन्त उत्सर्पिणियों तथा अवसर्पिणियों का १ पुद्गल परावर्त्तकाल जानना, ऐसे अनन्त पुद्गल परावर्त्तन अतीत काल और उससे अनंत गुणा अनागत काल है ॥ ५४ ॥ जिणअजिण तित्थऽतित्था, गिहि अन्न सलिंग थीनर नपुंसा, । पत्तेअ सयंबुद्धा, बुद्धबोहिय इक्कणिक्का य. ॥ ५५ ॥
जिन सिद्ध, अजिन सिद्ध, तीर्थ सिद्ध, अतीर्थ सिद्ध, गृहस्थ सिद्ध, अन्य लिंग सिद्ध, स्वलिंग सिद्ध, स्त्रीलिंग सिद्ध, पुरुषलिंग सिद्ध, नपुंसक लिंग सिद्ध, प्रत्येक बुद्ध सिद्ध, स्वयं बुद्ध सिद्ध, बुद्धबोधित सिद्ध, एक सिद्ध और अनेक सिद्ध (ये सिद्ध के १५ भेद हैं) ॥ ५५ ॥ जिणसिद्धा अरिहंता, अजिणसिद्धा य पुंडरिआ पमुहा, । गणहारि तित्थसिद्धा, अतित्थसिद्धा य मरुदेवी ॥ ५६ ॥
जिनसिद्ध तीर्थंकर भगवान हैं, अजिनसिद्ध पुंडरिक गणधर आदि, तीर्थसिद्ध, गौतमादि गणधर तथा अतीर्थ सिद्ध मरुदेवी माता हैं ॥ ५६ ॥ गिहिलिंगसिद्ध भरहो, वक्कलचीरी य अन्नलिंगम्मि, । साहू सलिंगसिद्धाथी - सिद्धा चंदणा - पमुहा ॥ ५७ ॥
नवतत्त्व
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