________________
करके संभ्रम से परिवार के साथ उनको वंदन करने गया। आनंद भी पैदल चलकर प्रभु के चरणों के समीप आया एवं कर्ण को अमृत के गंडूष (कुल्ले) जैसी प्रभु की देशना सुनने के पश्चात् महान् मनवाले आनंद ने प्रभु के चरण में नमन करके बारह प्रकार के गृहस्थ धर्म को अंगीकार किया।
__ (गा. 2 3 5 से 243) उसने शिवानंदा सिवा अन्य स्त्रियाँ और निधि में, ब्याज में और व्यापार में रहे बारह कोटि सौनैया उपरांत अन्य द्रव्य का त्याग किया। गायों के चार घण बिना अन्य घण का और पांच सौ हल उपरांत अन्य हलका साथ ही 100 क्षेत्र उपरांत क्षेत्र का भी त्याग किया। पाँच सौ गाड़े के अतिरिक्त अन्य गाड़ों का व्यापार निमित्त से त्याग किया। दिशाओं में प्रवास करने के लिए चार वाहन उपरांत अन्य वाहनों का त्याग किया। गंधकाषायी (रक्त/लाल) वस्त्र के बिना अंग पोंछने के वस्त्र का त्याग किया। आर्द्र (हरी) मधुयष्टि (मुलेठी) के सिवा अन्य दंतधावन (दातुन) का त्याग किया। क्षीरामलक (मधुर आँवले) के बिना अन्य फल त्याग दिये। सहस्रपाक तथा शतपाक तेल के बिना अन्य अभ्यंग का त्याग किया। एक जाति के सुगंधी गंधाढ्य उद्वर्तन के बिना अन्य उद्वर्तन (उबटन) त्याग दिये एवं आठ औष्ट्रीक (न छोटे, न बड़े घड़े औष्ट्रीक कुंभ कहलाते हैं) पानी के कुंभ से अधिक पानी से नहाना त्याग दिया। क्षोमयुगल (दो सूतीवस्त्र) सिवा अन्य वस्त्रों का त्याग कर दिया। श्रीखंड, अगर तथा केसर के बिना अन्य विलेपन छोड़ दिये। मालती की माला सिवा अन्य मालाओं का तथा कमल सिवा अन्य पुष्पों का त्याग किया। कर्णिका (कर्णफूल) तथा नामांकित मुद्रिका के सिवा आभूषणों का त्याग कर दिया। एवं तुरुष्क (सेल्हारस) तथा अगरु सिवा अन्य घूप का त्याग किया। घेवर तथा खांड के खाजे सिवा अन्य सुखड़ी त्याग दी। काष्टपेया (मूंग आदि से युक्त घी में तली तंदुल की पेया) बिना अन्य पेय भोजनों का त्याग किया। कमलशाली बिना भात का त्याग किया एवं उड़द, मूंग तथा कलाय (एक प्रकार का चने जैसा धान्य-मटर या मसूर) बिना दालों को वोसरा दिया। शरद ऋतु के गाय के घी के बिना अन्य घी भी त्याग दिया और स्वस्तिक, मंडूकी एवं वालुकी (उस समय की प्रचलित सब्जी, अनाज के सन्दर्भ में अज्ञात है) के अतिरिक्त अन्य अम्ल पदार्थों का एवं आकाश के पानी के सिवा अन्य को भी त्याग दिया। साथ ही पंचसुगंधी तंबोल के अतिरिक्त अन्य तंबोल का भी त्याग कर दिया।
(गा. 244 से 257) 192
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (दशम पर्व)