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श्रीसमवायाङ्गसूत्रटीकायां ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादक्रमेण सूचिः ।
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उद्धृतपाठः
पृष्ठाङ्कः | उद्धृतपाठः पयावती य वंभो... [आव. नि. ४११] २९५ संवच्छरेण भिक्खा... [आव० नि० ३१९] २९३ परिनिब्बुया गणहरा.. [आव० नि० ६५८] २९१ | सक्कार १ अब्भुट्ठाणे २... [ ] १८७ पलियं १ अहियं २... [वृहत्सं० गा० १४] २२ सज्झाएण पसत्थं झाणं..... पिंडेसण १ सेज्जि २ रिया... [आव० सं०] २१२ | [उपदेशमाला. गा० ३३८]
२३३ पुढवि-दग-अगणि-... [वृहत्सं० ३५१] १८० सद्धिं नागसहस्सा... [वृहत्क्षेत्र. ४१८] ६६ पुणव्वसु रोहिणी.. [लोकश्री] | २९ | सत्त पाणूणि से थोवे,... [भगवती. ६।७।४]१७० पन्नरसइभोगेण य.... [सूर्यप्र० १९] १५२ सत्त य छ च्चउ चउरो.. [ ]
२१२ पुव्वतुडियाडडाववहहुय तह... [ ] १८० | सत्तत्तीस सहस्सा छ.. [वृहत्क्षेत्र० ५४] १३० पव्वादिअणुक्कमसो गोथभ... बृहत्क्षेत्र ४१९]६६ सत्तावन्न सहस्सा धणं... [वृहत्क्षेत्र. ५७] १४८ पोसे मासे चउप्पया [उत्तरा० २६।१३] १३३ सत्थपरिण्णा १ लोग... [आव० सं०] बत्तीस ३२ अट्ठवीसा... [वृहत्सं० ११७] १८१ | सप्त स्वरास्त्रयो ग्रामा,... [ ] १६६ वहुलस्स सत्तमीए... [ज्योतिप्क० २५०] १६३ समणुन्नमणुन्ने वा... [निशीथभा० २१२४] ४७ वाधृलोडने [पा० धा० ५]
१६२ सयभिसया भरणीओ अदा. वावढिं वावर्द्वि दिवसे... [सूर्यप्र० १९] १५२ [जम्बू० प्र०७।१६०]
१५९,६० वाहा सत्तट्ठिसए.. [वृहत्क्षेत्र० ५५] १५७ | सव्वट्ठिसद्धगअणुत्तरोववाइय..... भरहो सगरो मघवं.. [आव० नि० ३७४] २९५ प्रज्ञा० सू. १५४४]
२७४ मरुदेवि विजय सेणा.. [आव० नि० ३८५] २९२ सव्वे वि एगदूसेण.. [आव० नि० २२७] २१२ महुरा य कणगवत्थू.... [आव० प्रक्षेप०] ३०५ | सव्वेसिं आयारो पढमो [आचा० नि०८] २५० मासाई सत्तंता [पञ्चाशक. १८।३] १८९ सव्वेसिं उत्तरो मेरु [ ] मेरुस्स तिन्नि कंडा.. [वृहत्क्षेत्र० ३१२] १३१ सहसंमुईयाए समणे [आचा० सू०७४३] ३ मोक्षे भवे च सर्वत्र,...[ ]
७ |सागरमेगं १ तिय २... [वृहत्सं० गा. २३३] २१ मोत्तूण सगमवाहं पढमाए... [कर्मप्र० ८३] १६२ सुग्गीवे दढरहे विण्हू.. [आव० नि० ३८८] २९२ यथा गौर्गवयस्तथा [मी० श्लो. वा० ] २१३ | सुजसा सुव्वय.. [आव० नि० ३८६] २९२ योग-क्षेमकृन्नाथः []
| सुद्धस्स चउत्थीए... [ज्योतिप्क० २४८] १६४ रत्नं निगद्यते तज्जातौ जातौ यदुत्कृप्टम् [ ] ५६ | सुद्धस्स य दसमीए... [ज्योतिप्क. २५१] १६३ रसोर्लशो मागध्याम् [ ]
१२५ | सुमइऽत्थ निच्चभत्तेण... [आव नि० २२८]२९३ लहुहिमव हिमव निसढे... [ ] १९९ | सूच सूचायाम् [ ]
२१४ विगलिंदिएसु दो दो.. [वृहत्सं० ३५२] १८० सूरे सुदंसणे कुंभे... [आव० नि० ३८९] २९२ विज्जुपहमालवंते नव नव... [ ] १९९ | सेसा य तिरियमणुया... [ ] २६८ विज्जुप्पभहरिकूडो.. [वृहत्क्षेत्र. १५६] २०० |सोलस भागे काऊण..ज्योतिप्क०१११] ६०.१५२ वीरं अरिट्ठनेमि... [आव० नि० २२१] ७४ हट्ठस्स अणवगल्लस्स,..[भगवती०६।७।४] १६९ संजयवेमाणित्थी संजयि.. [ ]
२३६ | हरिवासे इगवीसा.. [वृहत्क्षेत्र. ३१] २०६
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