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गाथा विषय
पत्र ६५ क्षायिक भने क्षायोपशमिकभावना क्रमथी नव अने अढार भेदोनु स्वरूप २२३-२२४ ६५ दानादि पांच लब्धियो प्रथम क्षायिकभावनी जणावी अहीं क्षायोपशमिक भावनी कही तो विरोध केम नहिं ? ए शङ्कानु समाधान
२२४ ६६ औदयिक अने पारिणामिकमावना क्रमथी अढार अने त्रण भेदोनु स्वरूप
२२४ ६६ कर्मना उदयथी उत्पन्न थनारा निद्रापञ्चक आदि घणा मावो होइ शके छे तो छ मावो ज केम कह्मा ? ए शङ्कानुसमाधान
२२५ ६६ छट्ठा सान्निपातिक भावना छवीस भेदो
२२५ ६७-६८ सान्निपातिक भावना संभवी शकता छ भेदोमांथीगत्यादि आश्री केटला होय अने केटला न होय ? तेनु स्वरूप
२२५-२२६ ६८ सान्निपातिक भावना पूर्व छवीस भेदो बताव्या छे आ ठेकाणे वीस अने पंदर मलीने पांत्रीस थाय छे तो विरोध केम नहि ! ए शङ्कानुसमाधान
२२६ ६९ जीवआश्रित आठ कर्मोमां औपशमिकादि पांच मावोनु स्वरूप
२२७ ६९ धर्मास्तिकायादि पांच अजीवन स्वरूप ।
२२७ ६९ अतीतादि भेदथी कालना पण त्रण भेदो थई शके छ तो ते अहीं केम बताव्या नहिं ? ए शङ्कानुसमाधान
२२८ ६९ समयथी लईने शीर्षप्रहेलिका पर्यन्त कालर्नु स्वरूप
२२८-२३० ६९ धर्मास्तिकायादि पांच अजीवमा कया कया भावो होय ? तेनु स्वरूप
२३० ६९ कर्मस्कन्धाश्रित औपशमिकादि भावो अजीवोने पण संभवे के तो ते कहेवा जोइए ? ए बाबतनो निर्णय
२३० ७० प्रत्येक गुणस्थानमां औपशमिकादि पांच मावोमांथी कया कया मावो होय ? तेनु स्वरूप २३१ ७० क्षायोपशमिक, औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, पारिणामिक अने सानिपातिक मावना उत्तरभेदो जेटला जे गुणस्थानमां होय ? तेनु स्वरूप
२३१-२३२ ७० उपरोक्त अर्थने प्रतिपादन करनारी साह गाथाओ
२३३-२३४ पश्चम सङ्ख्याधिकार. ७१ सङ्ख्यातना त्रण, असङ्ख्यातना नव भने अनन्तना नव मली संख्याना एकवीस भेदोनु कथन
२३४.२३५ ७२ जघन्य, मध्यम अने उत्कृष्टसङ्ख्यात तथा पल्य (पाला) अने परिधिनु स्वरूप २३५-२३६ ७३ चार पल्योनां (पालानां) नाम तेनी उंडाइ, वेदिका वगेरेनु स्वरूप
२३६-२३७ ७४-७७ पल्योने (पालाओने) भरवा अने खाली करवाथी केवी रीते ___ उत्कृष्टसङ्ख्यातु थाय ? तेनु सविस्तर स्वरूप
२३७-२४२ ७८-७६ नवप्रकारना असङ्ख्यातनु अने नवप्रकारना अनन्तनु स्वरूप
२४३-२४५ ७६ जघन्यसङ्ख्यातादि संख्याना एकवीस भेदोनी स्थापना
२४४ ८० अनुयोगद्वारसूत्रना अभिप्राय प्रमाणे उपरोक्त भेदोर्नु कथन अने ते सूत्रनो पाठ २४५-२४७ ८०-८६ मतान्तरथी असङ्ख्यात अने अनन्तनु सविस्तर स्वरूप
२४७-२५१ ८६ प्रस्तुत प्रकरणनी समाप्ति
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