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॥ * ॥ रत्नसागर प्रथमन्नाग सूचीपत्र. ॥ ॥ ५ ॥१०॥वरकनक (सागरचंदो०) पोसहपारवागाथा : . ॥१०१॥ नरहेसर बाहुबली, अनैकुमारो० सिशाय।
॥१०२॥ मन्ह जिणाणं आणं, सिशाय। .... ....
॥१०३॥ सकल तीर्थ वंडं कर जोम। .... ..... · ॥१०४॥ सकलार्हत् प्रतिष्टान, (पख्खी वृक्ष स्तोत्र)। .... । ॥१०५ ॥ शांतिकरं शांतिजिणं० (शांतिकरस्तोत्र)।.... ....
॥१०६॥ सीमंधर परमातमा० (श्री सीमंधर जगधणी)। .... ॥१०९॥ श्री परमात्मा० (विमल कमल) श्रीशेजय चैत्य०। १४२ ॥१११॥ सुणो चंदाजी सीमंधर० (आंखमियै रेमें आज)।.... १४३ ॥११३ ॥ सेठेजा द्वितीय स्तवन (पंचतीर्थ स्तुति)। .... १४४ ॥११४॥ पिनजीर रै नाम जपुंदिनरातियों, नेमराजुल सि०। १४५ ॥११५॥आऊखो तूटाने सांधोको नहीरे, सि०।.... .... १४५ ॥११७॥ पंचतीर्थ चै० (२ तिथको चै०)।.... .... ..... ॥१२०॥ पंचमी अष्टमी (तथा) एकादशीको चैत्यवंदन।.... ॥१२२ ॥ श्रीसीमंधर जिनकी (२) दोय स्तुति । .... ॥१२३ ॥ दिन सकल मनोहर०, बीजकीस्तुति। ..... ॥१२४॥ श्रावण सुदि दिन०, पंचमी स्तुति। ...... ॥१२५ ॥ मंगल आठकरी०, (८) अष्टमी स्तुति ।.... .... १५० ॥१२६ ॥ एकादशी अतिरूवमी। (११) एकादशी स्तुति।.... ॥१२७ ॥ स्नातस्या प्रतिमस्य मेरु शिखरे ०, (१४) स्तुति।.... ॥१२८ ॥ श्रीशत्रुजय गिरि तीरथ सार, स्तुति। .... .... ॥१२९ ॥ महाविदेह केत्रे सीमंधर स्वामी०, स्तुति ।..... ॥ १३०॥ सत्तर दी जिनपूजा०, पयूषण स्तुति । ..... १९२ ॥१३१॥ सामायक लेवा विधि। ........ .... ॥१३२॥ सामायक पारवा विधि। .... .... ॥१३३ ॥ संध्याकाल, देवशी प्रतिक्रमण विधि १ । ..... ॥१३४ ॥ प्रजातकाले रात्रीप्रतिक्रमण विधि २। .... .... . १५५
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