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६ . ॥8॥रनसागर प्रथम नाग, सूचीपत्र ॥१॥
॥१३५॥ पक्खी प्रतिक्रमण विधि ३ । .... ..... ..... १५७ ॥१३७॥ चौमाशी ४.( संबबरी प्रतिक्रमण विधि ).... ..... १५८ ॥१३८ ॥ पमिलेहण करवानो विधि। .............. १५९ ॥१३९॥ पञ्चक्खाण पारवानो विधि। .... .... .... १५९ ॥१४०॥ पांच शक्रस्तवे देववंदन विधि । .... .... .... १७३ ॥१४१॥ (२४) जिनचै०, थुई, स्त०, (चोमाशी देव वंदन) १७३
॥अथ बंद स्तवन संग्रह ॥ ॥ ॥१४२ ॥ सेवो वीरने चित्तमां० । महाबीर बंद। .... ....
॥ १४३॥ वंचित पूरै विविधपरें, श्री नवकार उद। .... .... - ॥१४४॥ सुखकारण नवियण, श्री नवकारचंद । ....
॥१४५॥ॐ परमेष्टी नमस्कारं, आत्मरक्षाबंद। - ॥१४६ ॥ सेवो पास शंखेसरो। श्री पार्थ जिन बंद ।
॥१४७॥ वीरजिनेसर केरोसीसा श्री गौतम बंद। .... .... १६४ ॥१४८॥ आदिनाथ आदै०, शोलसतीनो बंद । .... ॥१४९॥शेचेंजरुषन्न समो सरया (तीर्थमाला स्त०)। ॥ १५० ॥ श्री राणपुरो रलियामणोरे राणपुरास्त ।..... ..... ॥१५१ ॥ पुख्खलव विजये जयोरे० सीमंधर स्त। ..... १६७ ॥ १५२॥ माता त्रिशला फूलावे पुत्र पालणे (हालरियो)। १६७ ॥१५३ ॥ निंदा मकरजो कोईनी पारकीरे (सि०)। .... १६९ 1. ॥ ॥ आनंद घनजी कृत स्तवन संग्रह। ॥१५५ ॥ षन जिनेसर प्रीतम० (पंथमो निहालुं वीजा ० )। १६९ ॥१५७॥ संनव देवत धुर० ( अभिनंदन जिन)। .... १७० ॥१५९॥ सुमति चरणकज० (शीतल जिनपति ०)। .... १७१ ॥१६० ॥ मन९ किमही न वाजैहो कुंथुजिन म०। .... १७२ ॥१६१॥शाश्वता अशाश्वता जिन वृक्ष चैत्य० । .... .... ॥१६२ ॥शाश्वता २ जिनस्तुति ( तथा ) विधि । .... .... ॥१६४ ॥श्रीसिघगिरी स्त० (श्री गिरनारजी स्तवन)। .... १८९
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