________________
१९४
Ꮻ
Ꮺ
Ꮺ
॥2॥ रत्नसागर प्रथम नाग, सूचीपत्र ॥ * ॥ ७ ॥१६५॥ आवोर ने राज श्री अर्बुद गिरवर जश्यै । .....। ॥१६७॥श्री अष्टापदजी स्त० (समेत सिखरजी स्त०)।.... १९१ ॥१६८ ॥ तोरणथी रथ फेरियोरे लाल (बारमाशो)। .... १९२ ॥१६९॥ (अजीमगंजे) श्रीनेमी नूतन चैत्य प्रतिष्टा स्तवन। ॥१७०॥जीया चतुर सुजाण, नवपदके गुणगायरे। .... ॥१७१॥ सद्भक्तया देवलोके रविशशि । शाश्वता०। ..... १९४ ॥१७२ ॥ अपनराकरती आरती जिन आगै। .... १९५ ॥१७३ ॥ मंदर जाणेंकी पूजन करने की विधिः
१९६ ॥१७४ ॥ बमो नवकार, किंकप्पत्तर रेअयाण. ॥१७९ ॥ तिजयपहुत्त पयासं० स्तोत्र। .... ॥ १७६ ॥ दोसा वहार दक्खो, स्तोत्र। .... ॥१७७॥ जगद्गुरु, ९ ग्रह शांति स्तोत्र ।
२०४ ॥१७८॥ धम्मोमंगल मुक्किहं स्वाध्याय। .... ॥१७९॥ जिन पंजर, आत्मरक्षास्तोत्र। ....
२०५ ॥१८० ॥ लघु जिनसहस्रनाम स्तोत्र। ..... ॥१८१॥ सकल मंगल केलिनिवेशनं०, स्तोत्र । ॥१८२॥ पार्श्वजिनस्तोत्र, बिशदगुण विचित्र।
२०९ ॥१८३॥ यस्यज्ञानदया सिंधो, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तोत्र २०९ ॥१८४॥ लक्ष्मीनिदानं० । श्रीपार्थजिनस्तोत्र । .... २१० ॥१८५॥श्री शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तोत्र। .... ..... ॥१८६ ॥ विशद सद्गुण० श्री पार्श्वजिनस्तोत्र। .... ॥१८७॥श्री गोमी पार्श्वजिन स्तोत्र ।.... ॥१८८॥आद्यश्री षनः०, २४ जिनस्तोत्र । ॥१८९॥श्रीमन्नम्रसुरासुरेंद्र० । मंगलाष्टकस्तोत्र ।
२१२ ॥१९० ॥ शिवंशुधवुच । परमात्मास्तोत्र। .... .... ॥१९१॥ दर्शनंदेवदेवस्य० । नमस्कारस्तोत्र । .... ॥१९२॥ आद्यंताकर संसद । इषिमंमलस्तोत्र। ....
२०५
२०७ २०९
.....
०
०
०
WWW