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॥ * ॥ रत्नसागर प्रथमजाग सूचीपत्र. ॥ * ॥ ॥६४॥ पोसह पारण विधि। .... ॥३५॥ दिवश चौपुहरी पोसह विधिः। ॥६६॥रात्रि सबंधी चौपुहरी पोसह विधिः ॥६७॥ चौबीश२४ थंमिला पहिलेहण पाठ। .... .... १२१ ॥६८॥ चौवीश मिला कहां २ करना । .... ..... ॥६९॥ परकी (चौमाशी) संबन्चरी प्रतिक्रमण विधिः । ॥७०॥राई प्रतिक्रमणमें जम्माशीतप चितवन विधिः .... १२४ ॥७१॥ साधू श्रावक ( प्रतिक्रमणहेतू ) अर्थ (कारण) .... १२६ ॥७२॥श्री सीमंधर जिन चैत्यवंदन (जयरत्रिनुवन)।.... १२९ ॥ ७३ ॥ श्री सीमंधर जिनस्तवन ( पूर्व विदेह पुख लावती)। १२९ ॥७४॥श्री सीमंधर साहिबा वीनतमी० स्तवन .... .... १२९ ॥७५॥ जय जय नानिनरिंदनंद। सिघ गिरी चैत्य० .... १३० ॥७६ ॥आज पुंमर गिरि नेटिया (सिधगिरीस्त० ॥७७॥ सिघाचल गिरी नेव्यारे) धन्यनागहमारा ॥७८॥श्री आदिजिन चैत्यवंदन
१३१ ॥७९॥श्री शांतिजिन दोचैत्यवंदन .... .....
१३१ ॥८०॥श्री नेमिजिन चैत्यवंदन .... , .. ॥ ८४॥श्री पार्श्वजिनका चार चैत्यवंदनजूदा २ ॥८६॥श्री महाबीरस्वामीका दोचैत्यवंदन ......... १३३
॥ ॥ अथ तपगढ विशेष विधिसंग्रह ॥ ॥ ॥८७॥ पंचेंदियसंबरणो० स्थापनागाथा । ........ .... ॥८९॥ इहामि खमासमणो (इकारसुहराई)।.......... ॥९० ॥सामाश्य वयजुत्तो । सामायक पारवागाथा । .... ॥९१ ॥ जगचिंतामणिचैत्यबंदन ( जयवीयराय) .... .... ॥९४ ॥ कल्लाणकंदं (विशाल लोचन ) (जगवानहं) .... १३५ ॥९५ ॥ अतीचारकी ठगाथा। .... ..... .... ...... १३५ ॥९८॥ सुत्रदेवता (खेत्रदेवता ) (स्तुति) (अट्ठाईसु)। १३६
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