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गुरु किंगमिगे जागानेर ॥ (सदगु० समाजली गुरु मेस्तै ,
श्री दादाजी लावणी, बधाई, देशनासंग्रह. ८१३ हिकाय (स० ) (सुनिजर जोय जो साहिबा)॥२॥थां रै घुमलारै आ गल घूघराजी । ढुलत चमर गजढाल (स.) कारण सेवै कामनी जी । कांई निरख करै जी निहाल (स० ) ( सुनिजर०)॥३॥ थांरी गावी गेम थापना जी। कांई नदयापुर आंबर (स०) महिमा जली गुरु मेमतै जी कांई सालूम वाली सांगानेर ॥ (सदगु० मु०)॥४॥थारी ज्योति घणी गुरु फिगमिगै जी। कांई वधती गढ वीकाण (स०) आशा पूरण आव ज्यो। थेतो देरावररा दीवांण । (स० सु०)॥५॥ मारी वीनतमी नलै मानिज्योजी । कांई दादाजी दीन दयाल (स० ) कुशल सदा कविराजरै । कांई पाटोधर प्रतिपाल ॥ (स० सु०)॥६॥ इति पदम् ॥ ॥ॐ॥
॥॥ (लावणीकी चालमें)॥ ॥ ॥ ॥ सदगुरुजी झांरा सरणे आयां की लज्या राखज्यो (स.) पतित नधारण विरुद सुणीनें । आयो तुमारै पास । अव मनवंगित पूरो माह रा। ए हीज दिलकी आश जी ॥ (स०)॥१॥ काम क्रोध मद लोलतजी ने। तज दियो सब संसार । नवपदको इक ध्यान धरीने । पाया सहु गुण पार जी॥ ( स०)॥२॥देश देशमें धुंन विराजै। परचा जग विवात । इण कलु मां है सुरतरु सरिखा । प्रगट रह्या साख्यात जी॥ (स.)॥३॥ चिंतामणि और कामधेनु सम । माहरै तुंहीज देव । आण धरं शिर ताहरी (शिरै ) करूं तुमारी सेवजी ॥ (स०)॥४॥ मात पिता बंधव तुं जगमें। हितकारी गुरुराय । राजा राणा सहु जग मां है । सेवै तुमरा पाय जी ॥ (स०)॥५॥आज गुरु तुम चरण पसायें । सीधा वंरित काज । लक्ष्मी प्रधान तुमारा दरशण । मोहन गुणका राजजी॥ (स० )॥ ६ ॥ इति ॥
॥ ॥ वधाई (राग कहरवो)॥ ॥ ॥ * ॥ आजकी घडी मां रै हरष बधाई। गुरु दरशण पायो सुखदाई (आ०) ॥१॥ गुरु जग नायक बंबित दायक । गुण गण लंकृत सहु मन जाई॥ (आ० )॥२॥ नत्तम धर्म प्रनाव करीनें । जैनी कुलकी रीत देखाई॥ (आ०)॥३॥ गुरु परतद सहु संघ सुखदायक । देश देशमें प्रगट रहाई ॥ (आ०)॥४॥धन दिन आज सफल थयो माहरै । सुर .