________________
श्री दादाजी स्तवनमाला.
11 ❀ || TF: || * ||
॥ * ॥ नेम श्यामसें कहियो मोरी ( इस चा० )
॥
॥ गुरु पूज रचो रे सुग्यानी । जली हीयै नक्ति जरानी (गुरु० ) श्री जिन कुशल सूरीसर साहिब। खरतर गछ राजानी । देश देश में थानक गुरुका। सोना जग पहिचानी । सदा रवि तेज समांनी ( गु० ) ॥ १ ॥ के शर चंदन मृगमद जेजी | चरणांरी पूजरचांनी। धूप दीप वलि प्रागल ढोवी । बहुविध पुष्प चढानी | जला फल जेट धरांनी (गुरु० ) ॥ २ ॥ वाट घाटमैं परचा पूरक | हाजर होत सहानी । श्री जिन शौभाग्य सूरिके साहिब । Pitaa का रानी । सदा गुरु महिर लखानी (गुरु० ) ॥ ३ ॥ इति पदम् ॥ ॥ * ॥ राग प्रजाती ॥ ॥
॥ * ॥ कैसे कैसे अवसर में गुरु राखी लाज हमारी । ( कैसे ० ) मो कुँ सबल नरोसा तेरा | चंदसूरि पटधारी । ( कै० ) ॥ १ ॥ तुम विन और न कोई मेरे । या जगमें हित कारी । मेरा जीवन हाथ तुमारे। देखो आप विचारी | ( कै० ) ॥ २ ॥ आगे तो केई वेर हमारी । चिंता दूर निवारी | ant विरियां नूल मती जावो । सदगुरु परनपगारी ( कै० ) || ३ || बकै आपला गुजरकी । रखीयै गुरु जशधारी । मेरै कुशल सूरिंद गुरु तेरा ! वा नरोसा जारी (कै० ) ॥ ४ ॥ इति पदम् ॥ * ॥
॥ ॐ ॥
॥ * ॥ राग प्रजाती ॥ ॥
८१९
॥ * ॥ श्री जिन कुशल सूरीसर साहिब । तुमहो पर नपगारी (श्री जि० ) । खरतर ग नायक गुणजायक। जिन चंद्रसूरि पटधारी (श्री० ) ॥ १ ॥ संत उधारण सुजश वधारण । नीम अंजन प्रति नारी । नाम तु मारो कुशल करण जग । वारी जानं वार हजारी ( श्री० ) ॥ २ ॥ जगव छल तुमही हो जगत्गुरु । करुणानिधि करतारी । कहै जिनचंद मेरेहो सदगुरु | हम है शरण तुमारी (श्री० ) ॥ ३ ॥ ॥
॥ * ॥
॥ * ॥ पुनः ॥ * ॥
॥ * ॥ श्री गणधर गुरु कुशलसूरिंद के । चरण कमल परिवारी । ( श्री० ) केशर चंदन प्रक्त कुंकुम । जलभर कंचन जारी । देवक प्रागे