________________
७५० रत्नसागर,श्रीजिन पूजा संग्रह. दिन २ अधिक दिवाजै ॥ हां०प्र०॥७॥इति श्रीपाठक सुमति मंझपजी कृत सिधगिरीपूजा संपूर्णम् ॥ ॥
॥ॐ ॥श्रीपाबूजी पूजा लि० ॥2॥ ॥ ॥ श्रीगुरुभ्योनमः॥ ॥श्रीजिनवर आराधिय । धरिये हियो ध्यांन । षन जिणंद दिणंद सम । दिन दिन चढते वांन ॥१॥ आबू गिर पूजन रचुं । महियल मोटो गम । देस देसका संघवी । आवी करे प्रणाम ॥२॥आबू अचल गढ दीपतो । महियल जाण सुमेर । देवलवामो अति दीपतो । महिमा थई चिहुं फेर ॥३॥ विमलसाह मंत्री थयो। मोटो पुन्य पसाय । पातसाह बार नणी । वस करिया सुखदाय ॥४॥ तिणए तीरथ थापियो। आबूगिर सिरदार । चैत्य कराया नावसुं । खरची द्रव्य अपार ॥५॥ सुद्धोदक लेईकरी । पूजो आदि जिणंद । स्नातकरी जिनराजनी। पावो परमानंद ॥ ६॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ * ॥ प्रथम जलपूजा॥ॐ॥ ॥ॐ ॥ इक मुणले नाथ अरज मेरी० ॥ एचाल ॥ बलिहारी आबू गिरवरकी ॥ब० ॥ आबू गिरिपर अदनुत सोहै । मूरत आदि जिनेसर की ॥ब०॥आस पास बहु कामी ऊंगी। मांहि गुफा जोगीसरकी॥ बलि०॥ ॥१॥ देश देशके जात्री आवै । पूजरचै परमेश्वरकी ॥ब० ॥ विमलै मंत्री वस करलीनी। पातसाही बारै घरकी ॥ब०२॥ तिणए बिंब नराया जावे। महिमा आदि जिनेसरकी ॥ब० ॥ आउस बहुत्तर जिनवर गजै । न दियां नीर सजल नरकी ॥व० ३॥ कोरणी खूबबणी अति सुंदर। दिल जर दरसण मुखकरकी ॥ ब० ॥ देराणी जेगणीरा आला । कोरणि करी हदवेसरकी ॥ब० ॥४॥ अंगी चंगी अजब वणी है । मोवन वरण रतन वरकी ॥ब० ॥सुमति कहै एतीरथ उत्तम । इनकुं नपम सुरगिरकी ॥ब०॥ ॥५॥शी आबूगिरेंद्राय तीरथ सीरोमणाय । श्रीआदिस्वराय जलं ॥१॥
॥ ॥ अथ दूसरी चंदन पूजा ॥१॥ ॥ ॥ दूहा ॥ केशर चंदन लेयके । पूजो श्री गिरराज॥ पूजत अनुभव गुणलहै । तारण तरण जिहाज ॥ अचल गर्दै जिनराजनो ॥ अति नत्तंग