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श्रीपाबूजीकी पूजा..
७५१ प्रसाद । देख नविक हर्खितहुवै ॥ पावै परम आल्हाद ॥ २॥ राग सोरठ। कुंद किरण शशि ऊजलोरे देवा ॥ एचाल॥आबू तीरथ पूजीयरें।वाव्हा॥ तीरथ महिमा वंतोरे ॥आगे जिनवर सहूलवि सेवियरे ॥ वाल्हा ॥आणी जाव अनंतोरे ॥१॥ आगे ॥ वस्तपाल तेजपालजीरे ॥ वा०॥ लीनो लखमी लाहोरे ॥ आ० ॥ मुद्रा बहु खरची करीरे ॥ वा० ॥ जसलीनो जगमांहोरे॥२॥ आगे॥ कोरणी जीणी सुंदरूरे । वा० । कीधी धर मन रंगैरे ॥ प्रा०॥ सुरगुरु पिणनहि कहीसकैरे॥वा० ॥ महिमा अधिक सुरंगैरे ॥३॥आगे ॥बारैकोम ऊपर सहोरे॥वा०॥लागा तेपन लाखोरे॥आ० इतनो धन खरच्यो सहीरे॥ वाला ॥ श्री संघकैरी साखोरे॥ ४ ॥आगे॥ मूलनायक नेमी सरुरे॥वा०॥ ब्रम्हचारी सिरदारोरे ॥ आगे ॥ च्यारसै अमसठ सुंदरूरे ॥वा०॥ जिनवर बिंब नदारोरे॥५॥॥ सुमति सदा इमवीनवैरे॥ वा० ॥ तीरथनी बलिहारीरे ॥ आ० ॥ मन वंडित सगला फलैरे॥वा०॥ पूजत गिर सिरदारीरे ॥३॥०॥ॐक्षी आबू गिरंद्राय तीर्थसि श्री आदीस्वराय चंदनं यजा महे ॥२॥ॐ॥ ॥॥
॥ ॥ अथ तीसरी फूल पूजा॥ॐ॥ ॥ * ॥ दूहा ॥ ब्रह्मचारी जोगीसरू । जगपति नेम जिनंद ॥बावीसम जिन पूजतां । नितप्रति होत आनंद ॥ १ ॥ चंपक केतकि केवमो। विन्न सिरी मचकुंद ॥ मोगर मालति कुशमसें । पूजो नवि सुख कंद ॥ २ ॥ से जानो वासी प्यारो लागै म्हारा राजिंदा ॥ से० ॥ एचाल ॥आबू तीरथ नेटो म्हारा राजिंदा ॥ नेटो मांराराजिंदा ने ॥ आ० ॥ इण सम तीरथ ओरन कोई । मिथ्यातम सब मेटो । म्हां । अमीरो महाराज कहावै । देख्यां अति सुखपावै । म्हां० प्रा० १ । मनसुधजात्र करौं नविप्रांणी । सुर नर मुनि गुणगावै । म्हां । सुंदर सूरत मूरति सोहै । देख्यां प्रीत लगावे । म्हां आ० २ । अवर अनेक जिन बिंब कहावै । दरस करत मुख जावै । म्हां । एगिर सहु सिरदार कहावै । जोगीसर बहुध्यावै । म्हां । आ० ३ ॥ दूरथकी एगिरवर निरखी। मोतियन थाल नरावै । म्हां० । दान मांन सनमान करीनें । तीरथ महमा गावै । म्हां आ० ४। विधसेती गिरवर .