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श्री सिधगिरी निनाएं प्रकारी पूजा
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॥ ॐ ॥ विमलगिरि नाम तेरा । हो कनकगिरि नाम तेरा ॥ हो सेवोरे नज्जलगिरि रसमें । हो० नं० ॥ मचकुंद कुंद जाणो । चंपो गुलाब आणो । पूजो जिनंद जाणो ॥ हो० न० ॥ १ ॥ कर्मावसी जुराजे | जिनबिंब बहोत बाजे । जोतां मिथ्यात जाजै ॥ हो० न० ॥ २ ॥ मोतीवसी जुहारो मनकामना जु सारो । दिलमां हैं एहि धारो ॥ हो० न० ॥ ३ ॥ बालावसी जिणंदा । निरष्यांहि सुक्ख कंदा । अहारे चैत्य बंदा ॥ हो० ॐ० ॥ ४ ॥ पेमावसी प्यारा । नेटो जिनंद सारा । वंद्यांथी सुख्ख कारा ॥ हो० म० ॥ ५ ॥ हेमावसी जु वंदो । अजितादि सुख्ख कंदो । सेवो जिनंद चंदो ॥ हो० नं० ॥ ६ ॥ नऊमवसी जु राजै। नंदीश्वर जाव बाजै । सेवोथे सुख्ख काजे ॥ हो० नं० ॥ ७ ॥ साकरवसी जु जावे। जेट्यां पाप जावे । देख्यासुं • सुख्ख थावे ॥ हो० न० ॥ ८ ॥ बींपावसी जु ध्यावो । वंबित्त सुख्ख पावो । मनमांहि नावलावो ॥ हो० न० ॥ ९ ॥ खरतरवसी जु सोहै । जिनराज मन्न मोहे । निरख्यांसुं सुख्खहोवै ॥ हो० न० ॥ १० ॥ इत्यादि भावजाणो । गुरुग्न मन्न आणो । संकादिचित्त नांणो ॥ हो० न० ॥ ११ ॥ सुमतादि ध्यानध्यावो । गुण नाथनाजु गावो । मन नाव एहि जावो ॥ हो ० ॥ काव्य पूर्वनीपरें ॥ श्री श्रीपरत्मा० ॥ इति पुष्प पूजा ॥ ४ ॥ ॥ # ॥ थ पांचमी धूप पूजा ॥ ॥
० ॥ १२ ॥
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( दूहा ) धूपपूज ए पांचमी । करता जवि सुखदाय । धूपघटी जिम मह महे ॥ तिम तिम पातिक जाय ॥ १ ॥ ॥
॥* ॥ यात्रानिनाणं करियै विमलगिरि यात्रा ० ॥ए चाल ॥ ॥ ॥ * ॥ इण विधि पूजन करियै विमलगिरि ॥ ३० ॥ कृष्णागरने मृगमद अंबर। गंधवटी अनुसरिये ॥ वि० इ० ॥ १ ॥ चीरुसेल्हारस तुरक जलेरो । इणविध पूजन करियै ॥ वि० इ० ॥ केसर चंदन मृगमद कुंकुम । जाव नलै अनुसरियै ॥ वि० इ० ॥ २ ॥ नऊल अमल अखंमित तंडुल । दीप अखं जु धरिये ॥ वि० इ० ॥ पुष्प सुगंध गुलाबना लेइ । पूजो इणगिरिवरिये ॥ वि० ० ॥ ३ ॥ साधू साहमी जगति करीनें । आतम निरमल करियै ।। वि० इ० ॥ पांचे पांव इणगिर पूजो । नवनारद मुनि वरियै ॥ वि० इ० ॥ ४ ॥
॥ ॐ ॥