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रत्नसागर, श्रीजिन पूजा संग्रह ॥ * ॥अथ तीसरी चंदन पूजा॥8॥ ॥ * ॥ दूहा ॥ निर्मल केसर चंदनें । पूजो श्रीजगदीस । प्रेम धरी पूजा करो। सुखपावो निस दीस ॥१॥नगर अजोध्यानो धणी । श्रीजि तशत्रु नरेस। विजयाराणी शीलनी । सोनाकरै सुरेस ॥२॥ जिण जायो सुत जग धणी । जीत्या रिपु दल जास॥ अजित कुंवर राजा कियो । नाम जिसो परकास ॥३॥ ढाल॥श्रीचंद्राप्रनू जिनवर साहिब, (इस चालमें) अजित जिनेसर जग परमेसर । तुमहो पर नपगारा ॥ मेंवारीजाऊं तु०॥ बावनाचंदन केसर घोली । कस्तूरी घनसारा ॥ में ॥ नाव जगतसुं प्रनु, गुण गावो । पूजो जग जरतारा ॥ में० अ०॥१॥मिथ्यातम जर दूर निवारी । सेवो प्रनु अविकारा ॥ में०॥ राज राजेसर जगपति जिनवर । चक्री अजित नदारा ॥ में० अ०॥२॥ परनपगारी तुं परमेसर । ट्यां जय जय कारा ॥ में० ॥ जिम २ परमल पसरै तेहथी। सोना अधिक नुदारा ॥ में अ०॥३॥ नूमंगल विचरंता प्रबूजी । बहु चेतन सुखकारा ॥में ॥ पुंमरीक पर अजित जिनेसर । चौमासोतिहां धारा ॥ में अ० ॥४॥ सिंहसेनादिक गणधरथापी। पंचाणू हितकारा ॥में०॥ एक लाख मुनि मुद्रा धारी। नरिया गुण मणि धारा ॥ में० अ०॥ ५ ॥ चौथा आराने मध्यज मागै । अजित हुवा अविकारा ॥ में० ॥बोहत्तरलख पूरबनो आऊ। कीधा जग जयकारा ॥ में० अ० ॥६॥ सोलम जिनवर शांतिजिनेसर । अचिरा नंद नदारा॥ में० ॥ विमलगिरिंद पर कर चौमासो । करम कलंक निवारा ॥ में० अ० ॥७॥ विश्वसेन कुलनांण विराजै । जगजीवन हित कारा ॥ में० ॥श्रीहथणापुर ममण स्वामी । सुमति सदा दातारा ॥ में० अ० ॥८॥ काव्यं ॥ देवा सुरेंद्र० पूर्वलीपरें संपूर्ण कहीजै ॥ नक्षी श्रीपरमा त्म०॥ इति चंदन पूजा ॥३॥ ॥
॥ॐ॥ ॥॥अथ चौथी पुष्प पूजा॥॥ ॥ ॥ दूहा ॥ पूज चतुर्थी इणपएँ । कुसुम सुगंध सुजोय । जव्य मनो रथ पूरवै । घर घर मंगल होय ॥१॥2॥
॥ ॥ ढाल ॥ जिनराज नाम तेरा ।हो महाराज नाम तेरा ॥ हो