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नवपद मंगल पूजा विधि
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मुंगे रंगका वस्त्रादि द्रव्य चढावे ॥ ७ ॥ ॐ बृहस्पतये नमः ॥ पीलेवर्णका वस्त्रा दिक द्रव्य चढावे ॥ ५ ॥ ॐ शुक्रायनमः ॥ सपेदवर्ण नांदोल वस्त्रादि द्रव्य चढावे ॥ ६ ॥ ॐ शनिश्चरायनमः नीलेरंगका वस्त्रादि द्रव्य चढावे ॥ ८ ॥ ॐ राहवे नमः ॥ काले रंगका वस्त्रादि द्रव्य चढावे ॥ ८ ॥ केतवेनमः ॥ hair in dara or चढावे ॥ ९ ॥ इसीतरे नीचे नवग्रहकी स्थापना करें (पीछे) स्नात्र, नवपदजीकी पूजा करायके । भारती नवपदजीकी करे पीछे नवपदको चैत्यवंदन करे | उप्पन्नसन्नाण ( तथा ) जोधुरि श्रीमरिहंत मूलदृढ पीठपठियो । सिद्ध सूरि नवजाय साहु चिहुं साह गरठिन । दंश ण नाण चरित तव पमिशाहे सुंदरू ॥ तत्तक्खर सिरि वग्ग लखि गुरु पयद लम्बरू | दिशिवाल जक्ख जक्खणीपमुह सुरकुशमेहि प्रकियो । सो सिद्धिचक्क गुरु कप्पतरु मन वंबिय दियन ॥ १ ॥ ( पीछे ) । जंकिंचि रामोत्थु । नमोत सिद्धा• कहके । नवपदजीको स्तवन ॥ नृप्पन्न सन्नाण महोमया आदिस्तवन कहके । जयवीयराय नत्थू कहके १ नव० कावसग्ग करे || नवपद स्तुति कहै ॥ ( पीछे ) गुरुकेपास मायके वाशक्षेप लेके ग्यानपूजा, गुरूपूजा करे ॥ धूप खेवै । रोकनाणो चढावे ॥ (पीछे) यथाशक्ति साधर्मे वात्सल्य करै ।। इति नवपद मंगल पूजन विधिः ॥ | अब जाना चाहिये ( कि ) जब कोई श्रीमंत नवीकी तपस्या करे तब तो बए महिने मंगल पूजा विस्तार विधीसाथ कराता रहै | और तपस्या ४ || साढाचार वरसमें पूरण होय ( तब ) व मानवकेसाथ मंगल रच ना पूजा करे ॥ नद्यापन करे | संपूर्ण देवखाते, ग्यानखातैः गुरुखा का
पर नव नव करायके । प्रथम धर्मशाला में सुशोभित करे । दशपनरैदिन जलजात्रादि अनेक तरैका न करे । (पीछे) देवका देवखाते देवै । ग्यान का ग्यानखाते । गुरूका गुरूखाते । नपगरणादि द्रव्य देवै ॥ ( और ) रुद्धीरहित किया जावसें संपूर्ण करें। द्रव्यपूजा अपनी शक्ति मुजब करे ॥ (और) पंचायती संघ तरफसें मंगलीक अर्थ बए महिने मंगल रचना नवपद पूजा अवश्य पूर्वोक्त विधिसहित करता रहै ॥ नजी करनेका विधि ( तथा ) नवपद पूजा, स्तवन थुई, संपूर्ण, रत्नसागरका प्रथम नागमें