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सिद्धचक्रममल पूजा विधि. ७२१ गांधायनमः ॥ २१॥ अंबिकायैनमः॥ २२॥ पद्मावत्यैनमः ॥२३॥ सिद्धायिकायैनमः ॥ २४॥ इसीतरै वामपासे ॥ २४ देव्यांकी स्थापना करै ।। (पी)दक्षिणपासे, २४ यह राजकी स्थापना करके २४ सुपारी चढावै ॥ ( यथा)॥ ब्रह्मशांतयेनमः ॥ २४ ॥न पार्थायैनमः ॥ २३ ॥ ॐगोमेधायनमः ॥२२॥ गुटयेनमः॥ २१॥ वरुणायनमः ॥ २०॥ ॐकुबेरायनमः ॥१२॥ यवराजायनमः॥१८॥ गंधर्वायनः ॥ १७॥ ॐगरुमायनमः॥ १६ ॥ किन्नरायनमः १५ ॥ पातालायनमः॥ ॥ १४॥ षण्मुखायनमः॥१३॥ॐ कुमारायनमः ॥ १२॥ यक्षरा जायनमः ॥ ११॥ब्रह्मणेनमः ॥ १० ॥ ॐ अजितायनमः ॥ ९॥ विजयायनमः ॥ ९॥ मातंगायनमः ॥७॥ कुसुमायनमः ॥६॥ तुबुरखेनमः ॥ ५॥ यदनायकायनमः॥४॥ॐ त्रिमुखायनमः ॥३॥ ॐ महायदायनमः॥२॥ गोमुखायनमः॥१॥ इसी तरै नवमा वन यके दहिणेपासे २४ यदाकी थापना करके २४ सुपारी चढावै ॥ ( पीने) चारदिशायें ४ द्वारपालकी स्थापना करके । पीला वल वाकुल चढावै ।। (यथा)नकुमुदायनमः॥१॥ ( पूर्वदिशि ) ॥ ॐ अंजनायनमः ।। दक्षिण॥२॥ॐ वामनायनमः॥ (पश्चिम) ॥३॥ॐ पुष्पदंतायनमः ॥४॥ नत्तरदिशि ॥ ॥ ( पीने ) चार विदिशकीतरफ चार वीर पदे कृष्ण वलवाकुल चढावे ॥ (यथा) माणनद्राय नमः ॥ १॥ पूर्णजद्रायनमः ॥२॥ॐ कपिलायनमः ॥३॥ॐ पिंगलायनमः ॥ ४ ॥ ॥ ॥ इसी तरै दशमा वलयमें आडं दिशायें। ४ द्वारपाल । ४ वीर स्था पन कर॥ (पी) पूर्ण कलशके आकार, ऊपरसें किया हुवा, सिद्धचक्र जीके गलैके स्थानक, नवनिधान पदे, नव सोने चांदी आदिकका कशामें यथाशक्ति रोकनाणो घालके स्थापन करै ॥ ( यथा) ॐ नैसप्पिकायनमः ॥१॥ पांमुकायनमः॥२॥ पिंगलायनमः ॥३॥ सर्वरत्नायनमः ॥४॥न महापद्मायनमः ॥५॥ॐ कालायनमः ॥ ६ ॥ॐ महाका सायनमः ॥७॥माणवायनमः॥८॥ शंखायनमः॥ ९॥ इसीतरै मुखस्थानके नवनिधानपदे ९ कलश स्थापन करे ॥8॥ (पी) को