________________
७१८
रत्नसागर श्रीजिनपूजा संग्रह.
(Sri ) १६ दाख चढावे ॥ २ ॥ ॐ की णमो अरिहंताणं ॥ मिश्री लवंग ॥ ३ ॥ क ख ग घ ङ । ी व्यंजन कवर्गायैनमः ॥ १६ ॥ दाखच ० ॥ ४॥ झी मोरिहंताणं ॥ ५ ॥ चजऊन । झी चवर्गायैनमः ॥ ६ ॥ कीमो अरिहंताणं ॥ ७ ॥ टठकढण । झी टवर्गायैनमः ॥ ८ ॥ मो अरिहंताणं ॥ ९ ॥ तथदधन । की तवर्गायैनम ॥ १० ॥ णमो अरिहंताणं ॥ ११ ॥ पफवनम | झी पवर्गायैनमः ॥ १२ ॥ श्री मो अरिहंताणं ॥ १३ ॥ यरलव । तँ की यवर्गायैनमः ॥ १४ ॥ श्री रामो अरिहंताणं ।। १५ ।। शषसह । की शवर्गायैनमः ॥ १६ ॥ पहला प्रवर्ग, पवर्गतक, वर्गदी १६ सोले दाख चढावै ॥ सब ९६ द्राख (और) यरलव १ । शषसह २ । यह दो वर्गमें ६४ द्राख चढावै ॥ इति दूसरा वलय पूजनविधिः ॥
॥
॥ ॐ ॥
॥ अ ( तीसरा वलयमें ) चार दिशः चार विदिशमें आठ परमेष्टी, पद स्थापन निमत्त आठ कोठा करे | इस आठ कोठाके वीच वीचमें बलाका तीन तीन देवे ॥ तीनुं वलाकामें २४ खाना हुवै ॥ एकेक खाने में दो दोय ल ब्धि पद स्थापन करनेसें । चोवीस घरमें ४८ लब्धिपद स्थापन पूजन करना ॥ ॥ अथ लब्धिपद पूजन विधि ॥
॥
॥
की परमेष्टिने नमः स्वाहा ॥ ऐसा ८ लब्धि पदका नाम बोलके, खारकां ४८ रामो जिणाएँ ॥ १ ॥ ी प्र मो परमोहि जिणाणं ॥ ३ ॥ झी श्र णमो तोहि जिणाएं रामो कुछबुद्धीणं ॥ ६ ॥ ी मो वीयबुद्धी सीमो मा १० ॥ ॐ की प्र णमो सयंसंबुदाणं
रामो
॥ * ॥ ठ परमेष्टी पदोंमें। aara बीजोरा चढावे (और) चढावै ॥ ( यथा ) ॥ ॐ श्री मो नहि जिणाणं ॥ २ ॥ ी णमो सोहि जिणाणं ॥ ४ ॥
॥ ५ ॥ ॐ श्री
णं ॥ ७ ॥ ॐ की प्र रामो पयानुसारीणं ॥ ८ ॥ सीविसाणं ॥ ९ ॥ की णमो संजिन्नसोयाणं ॥ ११ ॥ १२ ॥ ज्ञी प्र बोहि बुद्धाणं ॥ १४ ॥ ॐ श्री
॥
मोदिनी विसाणं ॥ न ी प्र णमो पत्तेय बुद्धाणं ॥ १३ ॥ श्री मो नज्जुमईणं ।। १५ ।। जी