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पांचकल्याणक पूजा विधि. रुपियाँसे । चवन कल्याणककी थापना करै ( और ) चवन कल्याणककी पांच पूजा पढे ॥ ॥ इति च्यवन कल्याणक पूजा ॥१॥ ॥ ...
॥ * ॥अथ जन्मकल्याणक विधिः॥॥ ॥तीशरे दिन जन्म कल्याणकको संपूर्ण नबव करै ( जैसें ) उप्पन दिश कुमरीका आगमन, और यावन्मात्र केली गृह रचना, दर्पण दर्शनादिक नबव करै ॥ तिस पीने, सुमेरु पर्वतकी थापनाके ऊपर इंद्रादिकका रूप करके नगवानकों थापन करे । सोने, रूपे, तांबा, पीतल, मट्टी आदि अनेक तरै का कलश वन सके तो १००८ कलश गंगानदी आदि अनेक ठिकाणेका जलसें जरनरके स्नात्र नलव करावै ॥ श्रृंगार १ । दर्पण २ । रत्न करंमक ३ । स्थाल ४ । पुष्प चंगेरिका ५। इत्यादि नपगरण पूजाका सर्व नगवान आगे रखै ॥ सर्व क्षेत्रांकी सुगंधी उषधीयांसें स्नात्र करावे । गुलाबजलकी, पुष्पां की, रत्नांकी, वर्षा करे। तदनंतर सिधार्थ राजायें जिस माफक जव कियो नस माफक अपनेसें वन सके जिस मुजब संपूर्ण नबव करे । (तदनंतर) घृतसर २४, । नैवेद्य सेर २४॥ गुमसेर २४। फल अढा २४ । चढावे। २४ सधव स्त्रियां मिलके २४ गवली करै ॥ जन्मकल्याणककी पांच पूजा पढ़े। आरती मंगल दीप नतारे ॥१॥
॥ॐ॥अथ दिक्षा कल्याणक विधिः॥ * ॥ ॥ चोथे दिन दिवा कल्याणकको नबव करै । खाशा पालखीमें नगवा नकों वेठगके, वर घोमो वाजित्रादि सहत वमे नवसे निकाले । अहा वाग वगीचामें लेजाके । अशोक, आम्रादि, उत्तम वृक्के नीचे सिंघासनपर स्थापन करके स्नात्र नबव करावे । २४ गज उत्तम वस्त्र चढावे । वाश देप देके नवीन चंद्रवा चढावे । दिदा कल्याणककी पांच पूजा गवावे। जैन याचकादिककों दान देवै । साहमीवबल करे ॥॥ ॥ ॥ ॥ ॥ अथ केवल ग्यान कल्याणक पूजा विधि ॥ १ ॥
॥ ॥ पांचमें दिन त्रिगमा समोशरणकी रचना करे। मुगट त्र चामरादि अनेक तरके रत्नजमित आनूषण सहत नगवानकों स्थापन