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जिनहर्षजीकृत २० स्थानक पूजा से ॥ ५ ॥ ध्या७ ॥ दोयसहस अरु अधिक चिहुत्तर। देववंदन निरधारो॥ ध्या० ॥ शुरुवंदन विधि च्यारसै बाएं । नेदकरी नरधारो ॥ ६ ॥ ध्या०॥ तीर्थकरादिकनौ मनरंग। विनय चरण शुनध्यायो। धननामा नवि नमि जि नहरले । तीर्थकर पद पायो ॥ ७ ॥ ध्यावो० ॥ ( काव्यं ) आणदिया से सं.जगजपस्स । कुंदिउ पादा मलता चणस्स । सुधम्म जुत्तस्स दयासय स्स । णमो मो श्रीबिनयालयस्स ॥८॥ (नक्षी श्री विनयायनमः)॥१०॥ इति दशमपदे श्रीविनयपूजा ॥१०॥ ॥
॥अथ (११)चारित्र पदपूजा लि० ॥
॥ (दूहा )॥ ॥ इग्यारम पद नितनमुं । देश सरब चारित्र । पंक मलिनता दूरकरि । चेतन कर पवित्र ॥ १॥ एह चरण सेवन करे । रंकथकी सुरराय । तीन जगतपति पद दीये । जसु सुर नर गुणगाय ॥२॥ (राग सारंग ) बावना चंदन घसि कुमकुमा ( ए चाल ) ॥ चरण शरण मुफ मन हरयो । सुखकरण हरण घन पापए। (हांहोरे वाला)। एह चरण जलधर हरे। अग्यान तरुण तर तापए ॥ १ ॥ हां० ॥ आठ कषाय निवा रता। देशविरति प्रगट हुवै खासए ॥ हांहोरे० ॥ बार कषाय निवारीया । सम विरतिलहे गुणवासए ॥ २ ॥ हां० ॥ इगवासर सेव्यो थको । शुध सरबसं बर चारित्रए ॥ हां वाला ॥ परमानंद घन पददीये । सुरलोक जनित सुख चित्रए ॥३॥ हां० वाला ॥ नव जय तरुगण दिवा । एसंयम निशित कुठार 'ए ॥ हां वाला ॥ ग्यान परंपर करण । अम्रितपदनो हितकारए ॥ ४ ॥ हाँ० वाला ॥ चरण अनंतर करणने । निरवाण तणो निरधारए ॥ हां वाला ॥ सरबविरति सुचचरणसें । पामें अरिहंत पदसारए ॥ ५ ॥ हां० वा ला ॥ वरस चरण परजायमें । अनुत्तरमुख अतिक्रम होयए ॥ हां०॥ बाला ॥ सतरनेद चारित्रना। कहीया जिनागम जोयए ॥६॥ हां वाला। देशथी सम संयम विषै । नऊलता अनंतगुण थायए ॥ हां वाला ॥ अरुणदेव सेवी चरणनें। नये जगगुरु जिन महारायए ॥ हां०७॥ (काव्यं) कम्मोध कतार दवानलस्स । महोदयानंद जयाजलस्स । विन्नाण पंकेरुह