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रुषिमंगल २४ प्रकारी पूजा.
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( वा० ) । विमल चिदानंद रामी रे || २ || वांबित पूरण सुरमणी रे (वा० ) एप्रनु अंतरजामीरे । ऐसे जिन महाराजकुंरे । ( वा० ) चंद्र नमें सिर नामीरे ३ | ( काव्यं ) ४ ॥ * ॥ सलिल चं० ॥ श्री श्रीप० श्रीमद नि नंदनजिनें० | वसु०॥ ॥ इति श्रीचतुर्थीजिनंदन जिनेंद्रस्याष्टविध पूजा ४॥
॥ * ॥ अथ (५) श्रीसुमति जिन पूजा लि ॥ * ॥
॥ ॥ (दोधक ) ॥ ॥ पंचम जिन नायक नसुं। पंचमि गति दातार पंचनावर विमल ज । वन विकसन दिनकार ॥ १ ॥ * ॥ ( राग कै खो) वंसी तेरी वैरिणि वाजैरे । बैरिणि बाजै (ए चाल (॥॥ सुध नाव चित्त थर धरिकैरे | (चित्त० ) पूजो सुमति जिलिंद | ( सुधनाव० ) जिन
क्तिकरण रसीला । लहो परम आनंद ॥ १ ॥ ( सुधनाव० ) जिनराज सुमति समंद। करै कुमति निकंद । (सुध० ) प्रजुना चरण अरविंदा | वंदे सुर सुरिंद ( सुध० ) ॥ २ ॥ कनकान तनु पुतिसोहै । प्रजु सुमंग ला नंद (सुध० ) करुणो पशम रस जरिया । वंदे नित शिवचंद । (सुध०) ॥ ३ ॥ ( काब्यं ) सलिलचं० नी० श्रीमत्सुमति जिनेंद्राय वसु द्रव्यं • इति श्री सुमति जिन पूजा 118 11 118 11
॥ * ॥ अथ ( ६ ) श्री पद्मप्रभु पूजा ॥ # ॥
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॥ * ॥ ( दोधक ) ॥ * ॥ हिवे षष्टम जिनवर तणी पूजन करहु नदार | नवि चित नक्ति धरी करी । सुख संपति करतार ॥ १ ॥ ( राग सारंग ) हांहों ० | बावना चंदन वसि कुमकुमा (ए चाल ) | ( हां हो रे वाला) पदमप्रमुख चंद्रमा । नित सकल लोक सुखदाय ए (हां०) हरि सुर असुर चकोरमा । नित निरख रह्या ललचायरे ॥ १ ॥ ( हां० ) जिन मुख बचन मृत तो । जे श्रवण करै नविपानए ( हां० ) । ते अजरा मरता है । हरिग करे जसु गुण गानए (हां ० ) ॥ २ ॥ धर नृप कुल नम दिन मणि । प्रचु मात सुसीमा नंदए ( हां० ) । प्रभु दरसणतें प्रतिदिनें हुइ ज्यो शिवचंद प्राणंद ए ॥ ३ ॥ ( काव्यं ) सजिल० । ॐ । श्रीपद्म प्रभु जिनें० वसु० ॥ * ॥ इति श्री पद्मप्रभु जिन पूजा ॥ ६ ॥