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ऋषिमंगल २४ प्रकारी पूजा.
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पूजा करणं । सुणियै सूत्रमकार । जे नवि विरचे प्रभूतणी । ते पार्मे
अव पार ॥ २ ॥ ॥
॥ ॐ ॥
॥ * ॥ ( दोधक ) ॥ * ॥ प्रथम जिनेश्वर तिम प्रथम । जोगीश्वर न रराय । प्रथम नए युग आदिमै । सकल जीव सुखदाय ॥ १ ॥ * ॥
॥ * ॥
॥ * ॥ ( राग देशाख ) ॥ ॥ ( पूर्वमुख सावनं करि दशन पावनं । इस चाल में ) ॥ ॥ विमलगिरि नदयगिरि राज सिखरो परै । तरुण तर ते ज दीपत दिलिंदा । युगल भ्रम वारकरी धरम नद्योत किय । विमल इ क्ष्वाकुकुल जलधि चन्दा ॥ ( १ ) मात मरुदेवी वर नदर दरि हरि वरा । सकलनृप मुगुटमणि नाभिनन्दा | अखिल जगनायका मुगति सुखदायका । विमल वर नाण गुणमणि समन्दा ॥ ( २ ) वृषन लांबनधरा सकल भवन य हरा । अमर वरगीत गुणकुसल कन्दा । गहिरसंसार सागर तरणि शम धरा । नमत शिवचन्द प्रनुचरण वंदा ॥ ३ ॥ *॥ (काव्यम् ) ॥ * ॥ सलिल (१) चन्दन ( २ ) पुष्प (३) फलबजे : ( ४ ) । सुविमलात (५) दीप ( ६ ) सुधूपकैः ( ७ ) । विविध नव्य मधु प्रवरान्नकै ( ८ ) । जिन ममीनिरहं वसुनि जे ॥ १ ॥ ी श्रीपरमात्मने नंतानंत ज्ञा न शक्तये | जन्म जरा मृत्यु निवारणाय । श्रीमत् कषत्र जिनेंद्राय । जलं । चन्दनं । पुष्पं । धूपं । दीपं । प्रकृतं । नैवेद्यं । फलं । वस्त्रं यजामहे स्वाहा ॥ * ॥ इति श्रीप्रथम जिनेंद्रास्याष्टविध पूजा ॥ १ ॥ * ॥
॥ * ॥ अथ (२) श्रीजितजिन पूजा लि० ॥ ॥
॥ * ॥ ) दोधक) जय जिणंद दिणंद सम । लखि नविकज विक सात । परमानंद सुकंदजल | विजया मात सुजात ॥ १ ॥ ॥ ( राग ) आयरहो दिलवागमें । प्यारेजिनजी । ( इस ख्यालके चालमें ) ॥ ॥ एक अरज अवधारियै । ( जितजिन ) एक अरज अवधारियै ॥ (प्रां०) अजित जिनेसर जग अलवेसर । करम निजर निहारियै । (अजितजिन एक० ) तारण तरण विरुद सुणितेरो । यो सरण तिहारयै ।) अजित जिन एक० ) ॥ १ ॥ चरमसिंधु जव जय जल निपतित । चरण पतित मोहि तारियै । ( जित० एक० ) । परमानन्द घन शिव वनिता नन । कज मधुपा