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साधु कीर्तिजी कृत सतरनेदी पूजा... ५८३ - ॥ ॥अथ विधि॥(राग नट्टनारायण)॥॥
॥ ॥ जिनराज को ध्वजमोहन । ध्वज मोहनारे ध्वजमोहना ॥ (जि. ) मोहन सुगुरु अधिवासीयो । कर पंचसबद त्रि प्रदक्षिणा ॥ (क) सधव वधू सिर सोहना ॥२॥(जि. ) नांतिवसन पंच बरण वन्योरी। विधकरी ध्वजको रोहण ॥ साधु जणति नवमीपूजा नव । पाप नीयांणा खोहणा । शिव मंदिरकुं अधिरोहणा । जन मोह्यो नट्टनारायणा (जि०)॥ २ ॥ इति नवमी पूजा० ॥ * ॥ एकही ध्वजा चढाई जै॥
॥ * ॥ अथ दशमी आनरण पूजा॥ॐ॥ .. ॥॥ पिरोजा, नीलम, लसणिया, मोती माणकसे जड्या। आनरण लेई मुखे इम पढे ॥ ॥ (राग केदारमें)॥ ( दूहा)॥दशमी पूजा आनर ण। रचना यथा अनेक । सुरपति जिम अंग रचै । तिम श्रावक सुबिवेक ॥१॥ शिर सोहै जिनवर तणें । रयण मुगट ऊलकति । तिलक नाल अं गदनुजा । श्रवणकुंमल अति नांति ॥२॥॥(राग अधनास गुंममल्हार। आशावरी) ॥ ॥ पाच पीरोजा नीलू लसणिया। मोती माणिक लाल रसणीया। (हीरा सोहैरे) धूनी चूनी पुलकर केतना । जातिरूप मुनग अंक अंजना (मनमोहैरे)॥१॥ मौलिमुगट रयणे जड्यो। काने कुंमल (हारे) अति जुगतै जड्यो । ( नरहारूरे )। (मन वारूरे)॥नालतिलक बांहे अंगदा । आनरण दशमी पूजा मुदा ।(सुखकारूरे)(उखहारूरे)॥२॥ - ॥ ॥ अथ विधिः॥ (राग केदारो॥ || .
॥ॐ ॥ प्रनु सिरसोहै । मुगटमणि रयणे जड्यो । (रय ) । अंगद बाहु तिलक जालस्थल । यहुनीको कौन घड्यो । (प्र०) १॥ श्रवण कुं मल शशि तरुण मंमल जीपै । मुरतरसे अलंकरयो । मुखकेदार चमर सिंहासन । नत्र शिर नवर धरयो । अलंकृत नचितवरयो॥२ (प्र०)॥१॥ इति दशमी आनरण पूजा ॥१०॥ एकही आमरण ( तथा) रोकनांणो कब्बल चढावै॥8॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ अथ इग्यारमी फूलघर पूजा ॥ॐ॥ ॥ सुगंध पुष्पकरी संयुक्त फुलघर हाथे लेई । मुखै इम पढे॥ ॥