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श्री महाबीर स्वामीको पारणो.
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॥ # ॥ अथ श्रीमहावीर स्वामीको पारणो लि० ॥
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॥ ॥ (दुहा ) ॥ श्रीअरिहंत अनन्त गुण | अतिशय पूरणगात्र । मुनि जे ज्ञानी जे संयमी । ते कहीयै उत्तम पात्र ॥ १ ॥ पात्र तणी अनुमो दना | करतो जीसेठ । श्रावक अच्चुय गति लहै । नव यैवेकां हेठ ॥ २ ॥ दश चनमाशा बीर जी । विचरत संयम वास । वेशाजापुर प्रावीया । इ ग्यारमी चौमाश ॥ ३ ॥ ढाल । एकघर घोमा हाथीया जी ( एहनी ) ॥ चौमाशी एह इग्यारमीजी । विचरत साहस धीर । वेशालापुर वाहिरै जी । आव्या श्री महाबीर ॥ १ ॥ ( जगत्गुरु त्रिशला नन्दनजी ) नलैमें नै या श्री जिनराय । सखीरी चौक पूरावो आय । मेरै नाग अनोपम थाय ( ज० ) ॥ २ ॥ बलदेवनो बै देहरोजी । तिहां प्रभु कावसग्ग लीध । पच्च क्खाण चनमाशनो जी। स्वामी ए तप कीध ( जग० ) ॥ ॥ ३ ॥ जीरणसेठ तिहां रहैजी । पालै श्रावक धर्म । श्राकारै ति नलख्या जी । जां श्री जिन मर्म ॥ ( ज० ) ॥ ४ ॥ आज उपवासीया जी । स्वामी श्री बधमान | काल्हि सही प्रभु जीमस्यै जी । मैं हथ देस्युं दान ॥ ( ज० ) ॥ ५ ॥ सदा सेठ इम चिंतवै जी । होसी सफल मुफ़ प्रास | पक्ष माश गितां थकां जी। पूरी थई चनमाश ॥ ( ज० ) ॥ ६ ॥ सामग्री आहार नी जी । जीरण कीध तयार । प्रजुनो मारग देखतो जी । वैठो घरने वार ॥ ( ज ० ) ॥ ७ ॥ घरि आवे बे पाहुणा जी । निहुत्या एकणबार । प्रनुजी कान पधारसी जी । में निहुत्या वारंवार ॥ ( ज० ) ॥ ८ ॥ पी करि स्युं पारणो जी । हुँ मनुनें पनिलान । होय मनोरथ एहवो जी । तो विन बरसे आन ॥ ( ज ० ) ॥ ९ ॥ अवसर ऊठ्या गोचरी जी । श्रीसिधारथ पूत । देशालापुर अवतां जी । पूरण घरेय पहुत्त ॥ ( ज० ) ॥ १० ॥ मिथ्यात्वी जां नहीं जी। जंगम तीरथ एह । चेमीनें कहै एहवो जी । कां इक निका देह ॥ ( ज ) ॥ ११ ॥ चाटूनरने बाकुला जी। प्रजुने प्राणी ata | नीरागी तेहीलीया जी । तिहांप्रनु पारणो कीध ॥ ( ज० ॥ १२ ॥ देव वजावे दुडुनी जी। जय बोलै करजोकि । हेम वृष्टि हुई तिहां जी । साठी बारह कोमि ॥ ( ज० ) ॥ १३ ॥ कहो सेठ तूझेस्युं दीयो जी । की