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- श्री नेमिनाथ नवरसो.
५०७ नामें राजुल नार ॥ मकरो० ॥ ३ ॥ लीधुं लगन तावतुं ॥ वर०॥आ प्या लीला श्रीफल हाथ ॥ मकरो॥ जीमण लाडू लापशी ॥ वर० ॥ वली सेवइयो कंसार ॥ मकरो० ॥ ४ ॥आग जलेवी पातली॥ वर०॥ वली मांहे घेवरनो जाग ॥ मकरो० ॥ खारी पुरीने दहीथरा॥ वर० ॥ व ली खाजाने मगदाल ॥ मकरो० ॥ ५॥लाखण साई हेशमी ॥ वर०॥ मांहे मोतीचूरनो स्वाद ॥ मकरो० ॥ कूर रांधो कमोदनो॥ वर०॥ मां हे मसूरनी दाल ॥ सबल दिवाजाजी ॥ ६॥ खारक खजूर में टोपरा ॥ वर० ॥ वली चारोलीने द्राख ॥ सबल०॥लवंग सोपारी एलची॥वर०॥ वली पानना बीमा चार ॥ सबल०॥७॥ सऊन कुटुंब संतोषीया ॥ वर०॥ बहु कीधी पेरामणी सार ॥ सबल०॥ जान लेई यादव चव्या ॥ वर० ॥ पाखरीया केकाण ॥ सबल० ॥ ८ ॥ हाथी रथ शणगारीया॥ वर०॥ केशरिया असवार ॥ सबल० ॥ इंद्र जोवाने आविया ॥ वर० ॥ इंद्राणी गावे गीत ॥ सबल० ॥९॥ तोरण आव्या नेमजी ॥ वर० ॥ते में निरखे राजुल नार ॥ सबल०॥ रूपचंद रंगे मल्या ॥ वर० ॥ए जोवा सरखी जान ॥ सबल० ॥१०॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ॐ॥ ढाल ही॥॥ ॥ * ॥ सखी कहे वर शामलो॥ ए दीसेजी ॥ ते निरखे राजुल नार इइडं हीसे जी॥ काला गयवर हाथीया ॥ ए दी० ॥ वली कालो मेघ मलार॥ हश्डु०॥१॥ काली अंजन आंखमी ॥ ए दीसेजी ॥ तेनुं मूल केणे नवि थाय ॥ हरडु०॥ काली कस्तूरी कही ॥ ए दीसेजी ॥ काला कृष्णागरु केश ॥ हडु० ॥२॥ रूपचंद रंगें मख्या॥ ए दीसे जी ॥ सखि शामलीयो जरतार ॥ हइडु०॥३॥*॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ ॥ ढाल सातमी॥॥ ॥ पशुअ पोकार मुणी करी । शुध लीधी जी। विचारे श्रीवीतरा ग। तेणें दया कीधीजी। जो परणं तो पशु मरे ॥शु० ॥ मूकी अनुकंपा जाल तेणें ॥१॥ इम जाणी रथ वालीयो॥ शु०॥ फेरवतां दीनदयाल