________________
शोलियातप स्तवन पेंतालीस आगमनाम तप बिधि. ४३१ इस पदको ( २००० ) गुणनो करै । और श्रीअजितनाथ स्वामीको आदलेके ( २२ ) बाईस जगवंतके ( २२ ) नपवास करै जब
॥॥१॥श्रीअजितनाथ स्वामी सर्वज्ञाय नमः॥ ॥ ॥. इसी अनुक्रमसें बाईस जगवंतको गुणनो करै । (जिस दिन)जो महाराजकै नामको नपवास होय । नसी नामको (२०००) गुणनो करै । और सर्व बिधि स्तवनमें लिखी है । नसी मुजब करै ॥ इति तिलक तपस्या बिधिः ॥ * ॥
॥ ॥ अथ शोलीयैको स्तवन लि० ॥ॐ॥ ॥ ॥ वीर जिनेसर नाषीयोरेलाल । सहु ब्रतमें सिर ताज (जवि प्राणीरे) । कषाय गंजन तप आदरो रेलाल । इणथी पातिक जाय (ज०वी०) ॥१॥ कोम बरष तप आदरैरे लाल । क्रोध गमावै फलतास (न०)।मान करै जे प्राणियारे लाल । ते जगमें न सुहाय (न०) ॥ २ ॥ व्रतमें माया आदरीरे लाल । स्त्री पणो पायो मल्लिनाथ (न० ) रूप पराव्रत कीया घणारेलाल । आषाढ चूति गणिका साथ ( न. ३ बी० ) च्यार कषाय चै मूलगारे लाल । नत्तम सोले नेद (न०) इम लव २ न मतो थकोरे लाल । जीव पामें वहु खेद (ज० ४ बी०) एकाशण बत जे करैरे लाल । लाख वरस दुख हांगरे (ज० ) नीवी ब्रत दूजो कह्योरे लाल । एधारो जिन वर वांण (न० ५) आंबिलनो फल बहु कटोरे ला ल। उपजै लबधि अपार (ज.) नपवास करतां नावसुंरे लाल । पामें जवनो पार (न० बी० ६) इम दिन शोले तप करैरे लाल । पूरण एब्रत थाय (ज०) देव गुरु पूजा करैरे लाल । तिणथी पातिक जाय (ज०७) ए तप आदरथी करैरे लाल । मन बंछित फल थाय (ज०) नर सुर रि घि पिण नोगवैरे लाल । निश्चै मुगति जाय (न० बी०)॥८॥ . इति १६ कषाय गंजन स्तवन संपूर्णम् ॥ इति शोलिया तप बिधिः ॥ॐ॥
॥ अथ शालियै तपकी विधिलि०॥७॥ ॥ ॥ क्रोध १। मान २ । माया ३ । लोन ४ । ( यह ४ कषाय में) अनंतान बंधियो १ । अप्रत्याख्यानियो २ । प्रत्याख्यानियो ३ । सं जलणो ४ । ( इस माफक ) एकेक कषायके च्यार च्यार नेद करने से