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रोहणी स्तवन तपविधि. कर्मकों नपार्जन करके। तीशरै जव अनंत मुखकों प्राप्त होंगे। इत्यलंबिस्त रेण ॥ ॥ इति बीशस्थानक तपनी बिधि संपूर्णम् ॥ * ॥ ॥2॥
॥ ॥ अथ रोहणी तप स्तवन लि० ॥ * ॥ ॥॥शाशण देवत सांमणीए । मुफ सानिध कीजै ॥ नूलो अक्षर प्रगति भणी । समझाई दीजै ॥ मोटो तप रोहण तणोए । जिणरा गु ण गावें ॥ जिम सुख सोहग संपदाए वंचित फल पाईं ॥ १॥दक्षिण न रते अङ्गदेस ने चंपानयरी । मघवा राजा राज कर तिण जीता बैरी । पाट तणी राणी रूवमीए लखमी इण नामें। आठ पुत्र जाया जिणें ए मनमें मुख पांमें ॥ २ ॥ रोहणी नांमें पुत्रिकाए सबकुं सुखकारी । आठां पुत्रां ऊपराए तिणलागै प्यारी । वाधै चंद्र तणी कलाए जिम पख उजवाले। तिम ते कुमरी धाय माय पांचे प्रतिपालै ॥३॥ कुमरीरूपै रूवमीए घर अङ्गण बैठी। दीठी राजा खेलतीए तिण चिंता पैठी। तीन जुवन विच एहवी ए नहीं दूजी नारी। रंना पनमा गवर गंग इण आगल हारी ॥ ४॥ पुरुष न दीसै कोई इसो जिणने परणाएं । आख्यां आगल साल व धै तिण चयन न पाएँ । देश २ ना राजवीए ततखिण तेमाया। सबल सजाई साथ करी नरपति पिण आया ॥ ५॥ वीतशोक राजा तणोए डे कुमर सोनागी । कन्या कैरी खंमीए तिण सेती लागी । ऊना देखै स कल लोक चढीया केई पाला । चित्रसेन रै कंठ ठवी कुमरी वरमाला॥ ६॥ देव अनें देवांगनाए जपै जय २ कार । रलियायत थयो देखनें ए सारो संसार । करजोमी कहै लोक वखत कन्यारो जामो । वीत शोकनो कुमर थयो शिर ऊपर लामो॥७॥इम वीवाह थयो जलो ए दीया दांन अपा र। घर आया परणी करीए हरख्यो परिवार । वीतशोक निज पुत्रनणी अपणो पाट दीघो। आपण संयम अादरी ए जगमें जश लीधो ॥ ८॥ ढाल ॥ * ॥प्रनु प्रणमुरे पाशजिनेसर थंनणो (एदेशी)॥8॥तिण नयरीरे चित्रसेन राजा थयो । सुख मांहै रे केतलो काल वही गयो । इण अवसररे आठ पुत्र हुवा नला। चढते पखरे चंद जिसी चढती कला (कल्लालो) चढती कला हिव राय बैगे पास बैठी रोहणी । सातमी नूमें