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रत्नसागर. गस्स ५ कानसग्ग ॥ ॥८॥ * ॥ (णमो दसणस्स (२०००) गुणनो। लोगस्स १७ कानसग्ग ॥१॥९॥॥(णमो विनयसंपणाणं ) २००० गुणनो। लोगस्स १० कानसग्ग ॥ ॥१०॥8॥ (णमो चारित्तस्स) २००० गुणनो । लोगस्स ६ कानसग्ग ॥ * ॥ ११॥ * ॥ (णमो बनवय धारीणं) २००० गुणनो। लोगस्स ९ कानसग्ग ॥ ॥१२॥ ॥(णमो किरिआणं ) २००० गुणनो । लोगस्स २५ कानसग्ग ॥ ॥१३॥ ॥ * ॥ (णमो तवस्सीणं) २००० गुणनो । लोगस्स १५ कासग्ग ॥ * ॥ १४॥ ॥ (णमो गोयमस्स ) २००० गुणनो। लोगस्स १७ कान सग्ग॥ ॥१५॥ ॥ (णमो जिणाणं ) २००० गुणनो। लोगस्स १० कान्सग्ग ॥ ॥१६॥॥ (णमो चरणस्स) दोहार गुणनो । लोगस्स १२ कानसग्ग ॥ * ॥१७॥ * ॥ (णमो नाणस्स ) २००० गुणनो । लो गस्स ५ कान्सग्ग ॥ ॥१८॥ * ॥ (णमो सुअनाणस्स) २००० गुण नो। लोगस्स १० कानसग्ग ॥ * ॥१९॥ ॥ (णमो तित्थस्स) २००० गुणनो। लोगस्स पांच कानसग्ग करे ॥ * ॥२०॥ॐ॥ ॥8॥ इति वीश स्थानिक गुणनो संपूर्णम् ॥ * ॥
इत्यादि विधिसंयुक्त वीशों नलीमें सर्व पदके नबव महोबव प्रनावना ऊजमणा पूर्वक करै । जिन शाशन के उन्नतिके कारण करै । इतनी शक्ति न हो (तो) एक नली तो विशेष नन्नवादि सहित करणी चाहिये। इहां बिधि प्रपाक ग्रंथसें वीश स्थानक सेवनविधि संक्षेप मात्र लिखी है (जो) गुरुको संयोग हुय । तबतो विस्तारसें बीशों पदकी जूंदी जूदी बि धि गुरुके मुखसें समझकै कर (जो) गुरुका जोग न हो (तो) बिबेक सं युक्त इस बिधिकों देखकै बीश स्थानक तप सेवन करें। बीश स्थानक तवन पढे (वा) मुणे । बीश स्थानकजीकी पूजा करावै । अपनी शक्ति माफक बीश बीश ग्यानोपरगण करावे । । देव पदको देव खातेलगावै । ग्यान पद को ग्यान खाते लगावै । गुरु पदको गुरु खाते लगावै । सर्व तीर्थोंकी यात्रा करै । साहमी बहल करै ( इत्यादिक) द्रव्ये, नावै विधिसंयुक्त सुध नावसें (जो) भव्य जीव यह बीश स्थानक पदकों सेवन करेंगे (सो) जिन नाम