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नाव होली खेलन विचार स्तवन. ॥ ॐ ॥ पुनः होरि ॥ ॐ॥
॥ * ॥ अनंतानंत प्रभुजीनी वाणी । प्रशातना तजरे प्राणी ॥ ना० ॥ श्री शीतल जिन शीतल वचनें । जाव दया चित्त आणी अनंता ॥ १ ॥ जे जीव देव द्रव्यनें खावे । थई लोन वशे अन्नाणी ॥ अनंता ॥ २ ॥ सागर शेठ परें दुःख पामी । थई नारकीयें शुं प्राणी ॥ अनंता ॥ ३ ॥ देवद्रव्य जे विधि ए वधारे । ते जिन थइ वरे शिवराणी ॥ अनंता० ॥४॥ धर्मचंदकर जोडी रागें । तारजो केवल नाणी ॥ अनंता ॥५॥ ॥ * ॥ पुनः होरी ॥ *॥
॥ मोहे अपने रंग में रंगदे || मेरे साहेब | मेरे साहेब | आदि जिणंद चंद || मोहे० ॥ ( आंकणी ) ॥ रंग तुंही रंग रेंज तुही हे । संजम रंग मोहे रंगदे || मोहे ० ॥ १ ॥ रंग मिथ्यात लग्यो हे अनादि को । सो अब इनकुं खिनदे || मो० ॥ २ ॥ रतत्रयी ऋषि तेरी में देखी । सो अब मुजकुं सऊदे || मो० || ३ || ज्ञान दर्शन चारित्र रंग हे । वाबिच केवल धरदे || मोहे० ॥ ४ ॥ कहत नूधरदास समकित पावे । याप समाना करदे || मोहे ॥ ५ ॥ इति ॥ * ॥
॥ ॐ ॥
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॥ * ॥ पुनः होरी ॥ * ॥
॥ ॐ ॥ मेरे पाश प्रभुजीके रंग मंरुप मांहे । खेजत संत वशंत ॥ ज्ञान गुलाल विवेक अरगजा । विनय अबीर विलसंत ॥ मेरे० ॥ १ ॥ गुण प्रेम पिचरकी छूटत । समता सखिय मिलंत || आगम लहर फूली फूलवाडी । मुनिवर भ्रमर गुंजंत ॥ मेरे० ॥ २ ॥ अंग आभूषण पंचेंद्रिय वंश | गुरु सेवा सलहंत ॥ बार भावना गहेरे कसुंबा । पीवत मन हरवंत ॥ मेरे० ॥ ३ ॥ अद्द्भुत पंचमहाबत वागा । पहिरै तन शोहंत ॥ कहे जिन चंद्र प्रजुकी कृपासें । निरखे नवल वर्शत ॥ मेरे० ॥ ४ ॥ इति ॥ ॥ * ॥ पुनः होरी ॥ ॥
॥ ॐ ॥ रंग मच्यो जिन द्वार ॥ चालो खेली ए होरी || पाशजीके दरवाररे || चालो || फागुनके दिनचार ॥ चालो० ॥ रंग० ॥ (प्रांकणी ) ॥ कनक कचोली केशर घोली । पूजो विविध प्रकाररे ॥ चाल ॥ १ ॥