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इग्यारै अंग सिशायां तिकर सोनतारे। पद अट्ठार हजाररे (मु०) । अवर पदने नेहमरे लाल । संख्याता श्रीकाररे (सु० ब० ) ॥ ४॥ गमा अनंता जेहमांरे । वलि अ नन्त पर्यायरे (सु० )। त्रस परित्ततो इहां रे लाल । थावर अनन्त कहा यरे (मु० ब०)॥५॥ निबध निकाचित सासतारे । जिनप्रणीतए नावरे (सु०) सुणतां आतम कलसेरे लाल । प्रगटै सहिज स्वनावरे ( सु० ब०) ॥६॥ सुगुण श्रावक वारू श्राविकारे । अंगै धरीय नसासरे (सु० ) विधि पर्वक तुमे सांगलोरे लाल । गीतारथ गुरु पासरे (सु० ब०)॥७॥ए सि घांत महिमानिलोरे । कतारै नव पाररे (सु०) विनयचंद्र कहै माहरैरे ला ल। ए हीज अंग आधाररे (सु० बलि०)॥८॥ इति आचारांग सिशाय॥१
॥ ॥ अथ सुयगमांग सूत्र सिशाय लि०॥॥ ॥ ॥ (ढाल रसीयानी)। बीजोरे अंग तुमे सांनलो। मनोहर श्रीसु गमांग ( मोरा साजन)। त्रिणसे तेशठ पाखंडी तणो । मत खंड्यो धर रंग (मो.)॥१॥ (मीठीरे लागै वाणी जिन तणी) जागैजेहथीरे ग्यांन (मो रा सा० )। ए वाणी मन नाणी माहरै । मानुं सुधारे समान (मोरा०) (मी ठी० ) ॥२॥रायपसेणी नवांग जेहनो। एतो सुत्र गंजीर मो० । बहुश्रु त अरथ जाणे सहु । हीर नीर धनुर तीर ( मो० मी०)॥३॥ एहनारे सुयखंध दोयछै । वलि अध्ययन तेवीश ( मो०)॥ नद्देशा समुद्देशा जिहां जला। संख्यायैरे तेत्रीश (मो० मीठी०)॥४॥नय निक्षेप प्रमाण नरया। पद उत्तीश हजार ( मो०)। संख्याता अक्रर पद मांहे । कुण लहे तेहनोरे पार ( मो० मीठी०)॥५॥गमा अनंता पर्याय वली । द अनन्त जिण मांहि ( मो०)। गुण अनन्त त्रस परित्त कह्या । थावर अनन्त जेमांहि ( मो० मी०)॥६॥ निबद्ध निकाचित जेसा सयकमा। जिनपन्नत्तारे जाव (मो०)। नाषीरे सुंदर एह प्ररूपणा । चरण करण नोरे जाब (मो० मीठी) ॥णाकरीय जगत जुगत ए सुत्रनी। निहश्चै लहीयेरे मुक्ति (मो०)। विनयचं द्र कहै प्रगटै एह थी। आतम गुणनीरे शक्ति ( मो० मीठी०)॥८॥१॥ इति श्रीसुयगडांग सिशायः॥२॥ ॥ ॥ ॥ ॥