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श्रावण, माश तपस्या धिकारः आठे वरशे आठ पावमी । अष्टप्रकारी पूजा पूर्वक आराधिये । ऊजमणे अष्टापद पूजा करावै । पकवान फन सर्ब चवीश चढावै ॥ ॥ इति अष्टापद पावमीतपः॥१९॥ ॥ ___ ॥ सुदपदके ८ आठमके दिन। नपवाश (अथवा) आंबिल (८) करै । ऊजमणे दूधका कटोरा नरके । आठ लामू, देव आगलि चढावै । इति अमृत पाठमि तपः॥२०॥
॥ ॥ ॥॥ ॥ बदपद ( अथवा ) सुद पदके दशमके दिन । दश नपवास ( अथवा ) बीश एकाशणा करै । जमणे अखंमित घी धार पूर्बक तीन। प्रदक्षिणा देवै ॥ इति अखम दशमी तपः॥ २१॥
॥ ॥ ॥3॥ बदपद (अथवा) सुद पक्के ११ इग्यारसके दिन । सिधांत पूजा पूर्वक । एकाशण । नीवी । आंबिल । ( वा ) नपवास ११ करै । कुजमणे ११ अंगकी पूजा करै ॥ इति श्री इग्यारअंग तपः॥२२॥ ॥
॥ ॥ सुद पदके १४ चनदस के दिन । एकासणादि १४ तप करै । ऊजमणे ग्यानपूजा करै । चवदप्रकारके पकवान प्रमुख चढावै ॥१॥ इति १४ पूर्वतपः॥२३॥ ॥ॐ॥
॥ पांच अमृत तेला। मास ६ में करै। (प्रथम तेले) सिखरण पारणो। (दूसरै तेलै) सीरको पारणो। (तीसरे तेल) लापशीकोपार णो। (चौथै तेले) लामूको पारणो। (पांचमें तेने) खीरको पारणो। सर्व पारणें प्रथम साधूकों विहराके पारणो करै ॥ इति पंचामृत तेला तपः ॥२४॥ अहम १। एकाशणो १॥ अहम १। एकाशणो १॥ अहम १ । एकाशणो १॥ए मोटो रत्नोत्तर तपः॥२५॥ ॥
॥ ॥ आंबिल १२ करके । ऊजमणे रूपाको चक्र, मंदर चढावै (तो) सदा जय होय । विणज व्यापारमें लान होय । ऊगमै जीत होय ॥ ॥॥ इति धर्म चक्रतपः ॥२६॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ ॥ नपवास ५ व्याशणां ५। एकांतरै करै। इति पांच महाव्रत तपः२७
| | नपवाश १ एकाशणो १ । नीवी १ । आंबिल १ । व्याशणो १॥ नपवास १ । एकाशणो १। नीवी १ । आंबिल १। व्याशणो १ । एवं दिन